बच्चों की प्यारी हरकतें किसी का भी दिल जीत लेती हैं। उनकी हंसी, प्यारे रिएक्शन्स और मासूमियत हर किसी को खुश कर देती है। लेकिन कुछ आदतें ऐसी होती हैं जो क्यूट लगने के साथ-साथ कभी-कभी चिंता का कारण भी बन सकती हैं। ऐसी ही एक आदत है बच्चों का बार-बार जीभ निकालना।
हालांकि पहली बार ऐसा होता देखकर यह प्यारा लगता है, लेकिन बार-बार जीभ निकालने की आदत कई बार माता-पिता के लिए चिंता का विषय बन सकती है। आइए जानते हैं कि 6 महीने से कम उम्र के बच्चे बार-बार जीभ क्यों निकालते हैं।
1. टंग थ्रस्ट रिफ्लेक्स
- क्या है टंग थ्रस्ट रिफ्लेक्स?
यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमें बच्चा अपने होठों को छूने वाली किसी चीज़ के जवाब में अपनी जीभ बाहर निकालता है। - कब होता है यह रिफ्लेक्स?
- जब बच्चे को दूध पिलाया जाता है।
- जब उनके होठों पर किसी चीज का स्पर्श होता है।
- कब तक रहता है यह रिफ्लेक्स?
यह आमतौर पर 4 से 6 महीने की उम्र तक बना रहता है।
2. भूख लगने का संकेत
- अगर बच्चा बार-बार जीभ बाहर निकाल रहा है, तो यह संकेत हो सकता है कि उसे भूख लगी है।
- भूख के अन्य संकेत:
- बच्चे का रोना।
- उंगलियां चूसना।
- छोटे बच्चे अपनी भूख व्यक्त करने के लिए जीभ निकालने सहित अलग-अलग रिएक्शन देते हैं।
3. ओरल मोटर डेवलपमेंट
- जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनकी मुंह की मांसपेशियों का विकास होता है।
- जीभ बाहर निकालने का उद्देश्य:
- यह मुंह की मांसपेशियों को मजबूत करने की प्रक्रिया का हिस्सा है।
- यह बच्चों को ठोस भोजन के लिए तैयार करता है।
- यह सामान्य प्रक्रिया उनके शारीरिक विकास का हिस्सा है।
4. सांस लेने में परेशानी
- कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, बच्चों के बार-बार जीभ निकालने की एक वजह मुंह से सांस लेना भी हो सकती है।
- कब होता है ऐसा?
- खांसी।
- जुकाम।
- नाक बंद होने की स्थिति में।
5. आदत का हिस्सा
- छोटे बच्चों को नई आदतें बनाना और उन्हें बार-बार दोहराना स्वाभाविक है।
- आदत में बदलने की संभावना:
- बार-बार जीभ निकालना उनकी एक आदत बन सकती है।
- यह उनकी दिनचर्या का हिस्सा भी हो सकता है।
क्या करें अगर बच्चा बार-बार जीभ निकालता है?
- धैर्य रखें: यह बच्चों की सामान्य गतिविधियों का हिस्सा है।
- स्वास्थ्य समस्या को जांचें:
- अगर आपको लगता है कि यह व्यवहार सामान्य से अधिक हो रहा है या अन्य लक्षण भी हैं (जैसे सांस लेने में परेशानी), तो डॉक्टर से परामर्श करें।
- खेल-खेल में सुधार: बच्चे के साथ बातचीत करके उसकी आदतों को धीरे-धीरे सुधारें।