जयपुर एलपीजी टैंकर आग: जयपुर में भीषण आग की घटना में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है. 30 से ज्यादा लोग घायल हैं, जिनमें से 28 लोग 80 फीसदी से ज्यादा जल गए हैं. इनमें से कई की हालत गंभीर है. जिससे मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है.
शवों की पहचान के बिना डीएनए टेस्ट कराने का फैसला
इस भीषण हादसे में 6 शव इतनी बुरी तरह जल गए हैं कि उनकी पहचान भी नहीं हो पा रही है. सरकार ने ऐसे शवों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट कराने का फैसला किया है. मृतक के डीएनए नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए हैं।
बस का परमिट 16 महीने पहले खत्म हो गया था
20 दिसंबर को जयपुर-अजमेर हाईवे पर सुबह करीब 6 बजे एलपीजी टैंकर और ट्रक के बीच जोरदार टक्कर के बाद जोरदार धमाका हुआ. विस्फोट के बाद आग की लपटें दूर तक फैल गईं और वहां से गुजर रहे करीब 40 वाहनों को अपनी चपेट में ले लिया। शुरुआती जांच में पता चला है कि जो बस जलकर खाक हुई, उसका परमिट 16 महीने पहले ही खत्म हो चुका था.
हादसे की जांच के लिए कमेटी का गठन
राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत के निर्देश पर हादसे की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा समिति ने मुख्य सचिव से हादसे पर रिपोर्ट मांगी है.
संयुक्त जांच दल दुर्घटना के सभी पहलुओं की गहन जांच करेगा। कमेटी हादसे के लिए जिम्मेदार विभाग के अन्य पहलुओं पर भी गौर करेगी। सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा समिति ने इस मामले पर 20 जनवरी तक जांच रिपोर्ट मांगी है. हालांकि, कमेटी अगले हफ्ते ही अपनी रिपोर्ट सौंपने की तैयारी में है.
सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों और घायलों के लिए मुआवजे का ऐलान
हादसे में जान गंवाने वाले मृतकों और घायलों के लिए मुआवजे का ऐलान किया गया है. राजस्थान सरकार मृतकों को 5 लाख रुपये और घायलों को 1 लाख रुपये देगी. साथ ही केंद्र सरकार ने मृतकों को दो-दो लाख रुपये देने की भी घोषणा की है.
देश में भ्रष्टाचार और लापरवाही को उजागर करना
जयपुर में अजमेर नेशनल हाईवे पर हुए इस हादसे ने देश में भ्रष्टाचार और लापरवाही को उजागर कर दिया है. इस हादसे में उदयपुर से आ रही स्लीपर बस में 34 यात्री सवार थे. जिसमें से 20 यात्री झुलस गए. साथ ही ड्राइवर-कंडक्टर समेत 14 यात्री लापता हैं.
चौंकाने वाली बात ये है कि बस का परमिट 16 महीने पहले यानी 25 अगस्त 2023 को खत्म हो गया था. इतना ही नहीं, बस का एआईटीपी (ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट) भी 8 जुलाई 2024 को खत्म हो गया। परमिट खत्म होने का सीधा सा मतलब है कि परिवहन विभाग बस को सड़क पर चलाने की इजाजत नहीं देता है. ऐसे में इसे पकड़ना और जब्त करना आरटीओ की जिम्मेदारी है.