भारत और बांग्लादेश का ऐतिहासिक रिश्ता: मोहम्मद यूनुस की भूमिका पर सवाल

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भारत और बांग्लादेश का रिश्ता हमेशा से “बेटी-रोटी” के आधार पर एक गहरी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परंपरा से जुड़ा रहा है। यह संबंध न केवल पड़ोसी देशों के बीच आदान-प्रदान का प्रतीक है, बल्कि यह दोनों देशों की साझी विरासत और सभ्यता को भी दर्शाता है। हालांकि, हाल के दिनों में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के भारत विरोधी रुख ने इस मजबूत रिश्ते को कमजोर करने का काम किया है।

मोहम्मद यूनुस: भारत के ‘दामाद’

मोहम्मद यूनुस का भारत से व्यक्तिगत रिश्ता उनकी दूसरी पत्नी अफरोजी यूनुस के माध्यम से है। अफरोजी का जन्म पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले के रानीगंज बाजार में हुआ था। यूनुस और अफरोजी की पहली मुलाकात मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में हुई थी, जहां अफरोजी भौतिकी में शोध कर रही थीं। वेरा फोरेस्टेनको से अपनी पहली शादी टूटने के बाद यूनुस ने अफरोजी से शादी की। अफरोजी शादी के बाद बांग्लादेश के एक विश्वविद्यालय में कार्यरत हो गईं। उनकी पहली पत्नी से यूनुस की एक बेटी, मोनिका यूनुस, भी है।

हिंदू अल्पसंख्यकों के प्रति उदासीनता

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। मंदिरों पर हमले, जमीन पर कब्जे, और सामाजिक उत्पीड़न के कई मामले प्रकाश में आए हैं। इन घटनाओं पर मोहम्मद यूनुस की चुप्पी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता होने के नाते उनसे उम्मीद थी कि वे इन मुद्दों पर न केवल आवाज उठाएंगे, बल्कि उन्हें रोकने के प्रयास भी करेंगे। इसके बजाय, उन्होंने इन घटनाओं को नजरअंदाज कर दिया है, जिससे उनकी निष्पक्षता पर संदेह पैदा होता है।

भारतीय संस्कृति और खानपान से लगाव

मोहम्मद यूनुस को भारतीय संस्कृति और विशेष रूप से बंगाली खानपान से विशेष लगाव है। नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने के बाद उन्होंने भारत का दौरा किया और यहां की मेहमाननवाजी को खुले दिल से स्वीकारा। यूनुस को शुटकी मछली समेत अन्य बंगाली व्यंजन बेहद पसंद हैं। उनके साले आसफाक हुसैन के अनुसार, यूनुस हर साल अपने ससुराल आते थे और यहां के स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेते थे। बर्धमान में उनके ससुरालवाले आज भी उनका जिक्र गर्व के साथ करते हैं।