लीबिया में फंसे भारतीय मजदूर: पासपोर्ट जब्त, लंबी शिफ्ट और जीवन जेल जैसी परिस्थितियों में

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अफ्रीकी देश लीबिया के बेंगाजी स्थित एक सीमेंट फैक्ट्री में काम कर रहे कई भारतीय मजदूरों के कठिन हालात सामने आए हैं। मजदूरों का आरोप है कि उन्हें जेल जैसी परिस्थितियों में रखा गया है। भारत का विदेश मंत्रालय (MEA) उनकी मदद के लिए सक्रिय है।

विदेश मंत्रालय का बयान

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि:

  • ये भारतीय मजदूर दुबई के रास्ते बेंगाजी पहुंचे थे।
  • उनके पास उचित दस्तावेज नहीं थे, जिससे उन्हें काम और कानूनी मुद्दों में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • “हमारी एंबेसी ने स्थानीय समुदाय के जरिए मजदूरों तक मदद पहुंचाई। उनके लिए भोजन और आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था की गई है।”

एग्जिट परमिट सबसे बड़ी चुनौती

प्रवक्ता ने बताया कि मजदूरों की वापसी में एग्जिट परमिट सबसे बड़ी बाधा है।

  • चूंकि ये मजदूर बिना वैध दस्तावेजों के लीबिया गए थे, इसलिए लीबिया छोड़ने के लिए परमिट की आवश्यकता है।
  • “हम लीबियाई अधिकारियों के संपर्क में हैं और जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं,” जायसवाल ने कहा।

फंसे मजदूरों का दर्द

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार:

  • 16 भारतीय मजदूर बेंगाजी की सीमेंट फैक्ट्री में पिछले चार महीनों से जेल जैसी परिस्थितियों में फंसे हुए हैं।
  • इन मजदूरों में से अधिकतर उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं।
  • उनका कहना है कि अनियमित वेतन भुगतान, लंबे काम के घंटे, और कॉंट्रैक्ट की शर्तों का उल्लंघन उनके हालात को और खराब कर रहे हैं।

गोरखपुर के मिथिलेश की कहानी

26 वर्षीय मिथिलेश विश्वकर्मा ने बताया कि:

  • वह सितंबर 2023 में लखनऊ से दुबई गए और वहां से बेंगाजी पहुंचे।
  • ठेकेदार अबू बक्कार ने उनकी हवाई यात्रा और पर्यटक वीजा का खर्च उठाया।
  • बेंगाजी पहुंचते ही उनका पासपोर्ट यह कहते हुए जब्त कर लिया गया कि वीजा अपडेट होगा।
  • तब से उनका और अन्य मजदूरों का पासपोर्ट वापस नहीं किया गया।

तीसरे महीने से शुरू हुई परेशानियां

  • मजदूरी में कटौती शुरू हो गई।
  • साथी मजदूरों ने किसी भी मुद्दे को उठाने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी।

लंबे काम के घंटे और हिंसा का सामना

  • पहले जहां 8.5 घंटे की शिफ्ट थी, वह अब दोगुनी हो गई।
  • मजदूरों को आधी रात के बाद भी काम पर बुलाया जाने लगा।
  • सितंबर में, मजदूरों ने बकाया वेतन और कम काम के घंटे की मांग की।
  • इसके बाद ठेकेदार अबू बक्कार ने बेंगाजी आकर:
    • दो मजदूरों की पिटाई की।
    • उन्हें उसी दिन काम पर लौटने के लिए मजबूर किया।
  • मजदूरों ने इसके बाद काम बंद कर दिया, लेकिन उन्हें कोई वेतन नहीं दिया गया।

पहचान दस्तावेज नहीं, बाहर जाने से डरते हैं

  • मजदूर अब फैक्ट्री परिसर के दो कमरों में कैद हैं।
  • पहचान दस्तावेज न होने के कारण वे बाहर जाने से डरते हैं।

दक्षिण एशियाई मजदूरों से मदद

बेंगाजी की सीमेंट फैक्ट्री में अन्य दक्षिण एशियाई देशों के मजदूर भी काम कर रहे हैं।

  • उन्होंने भारतीय मजदूरों को भोजन और जरूरी सामान खरीदने में मदद की है।
  • 31 वर्षीय राजकुमार साहनी ने कहा कि वह 21 दिसंबर को फैक्ट्री में दो साल पूरे कर लेंगे।
  • लेकिन अब तक वह अपने 17 महीने के बेटे को नहीं देख पाए हैं।

भारत सरकार की प्रतिबद्धता

विदेश मंत्रालय ने भरोसा दिया है कि वह फंसे हुए भारतीय मजदूरों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

  • लीबियाई अधिकारियों के साथ संपर्क लगातार जारी है।
  • एंबेसी स्थिति पर नजर बनाए हुए है और मजदूरों की हर संभव मदद कर रही है।