महाराष्ट्र में एक हिंदू युवक और मुस्लिम युवती की शादी का मामला बॉम्बे हाईकोर्ट तक पहुंच गया। दोनों ने अपने परिवारों की धमकियों और विरोध के चलते सुरक्षा की गुहार लगाई। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया कि इस जोड़े को राज्य में हाल ही में स्थापित ‘सेफ होम्स’ में भेजने की व्यवस्था की जाए। ये सेफ होम्स उन जोड़ों के लिए बनाए गए हैं, जो अंतरधार्मिक विवाह के बाद अपने परिवारों या समाज से खतरा महसूस करते हैं।
परिवारों से मिल रही थी धमकियां
यह मामला तब सामने आया जब 23 वर्षीय हिंदू युवक ने मुस्लिम युवती के साथ अपने रिश्ते को लेकर सुरक्षा की मांग की। दोनों मुंबई के मीरा रोड के पास रहते हैं, लेकिन उनके परिवारों ने उनके संबंधों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और धमकियां दीं।
याचिकाकर्ता ने बताया कि जब उसने पुणे में अपने परिवार को अपने रिश्ते की जानकारी दी, तो परिवार ने हिंसक विरोध किया और उसे युवती से संपर्क न करने की सख्त हिदायत दी। दूसरी ओर, युवती के परिवार ने भी इसी तरह का रुख अपनाया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि युवती ने 15 दिसंबर को घर छोड़ दिया। इसके बाद दोनों ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी करने के लिए आवेदन किया।
हाईकोर्ट में सुरक्षा की मांग
युवक और युवती ने परिवारों और अन्य सामाजिक विरोधों से बचने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने ‘सेफ होम्स’ और पुलिस सुरक्षा की मांग की। मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मीहिर देसाई और अधिवक्ता लारा जेसानी ने अदालत को जोड़े की स्थिति और उनकी सुरक्षा संबंधी चिंताओं से अवगत कराया।
महाराष्ट्र सरकार का सेफ होम्स सर्कुलर
अधिवक्ताओं ने अदालत को बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने 18 दिसंबर को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें अंतरधार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को सुरक्षा देने के लिए ‘सेफ हाउसेस’ की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। इस व्यवस्था का उद्देश्य ऐसे जोड़ों को उनके परिवारों और समाज से संभावित खतरों से बचाना है।
कोर्ट का निर्देश
अदालत ने मामले को संज्ञान में लेते हुए युवक को निर्देश दिया कि वह अपनी सुरक्षा के लिए मीरा रोड पुलिस स्टेशन में आवेदन करे। युवक ने अदालत को यह भी बताया कि वह 23 दिसंबर से काम पर लौटने वाला है और उसे अपने परिवार और युवती के परिवार से खतरे का डर है।
सरकार की पहल और अदालत की भूमिका
इस मामले में अदालत का फैसला और राज्य सरकार की पहल उन जोड़ों के लिए राहत है, जो सामाजिक या धार्मिक विरोधों के कारण असुरक्षित महसूस करते हैं। सेफ होम्स के माध्यम से राज्य सरकार ने ऐसे लोगों को सुरक्षा देने की पहल की है, जो अपने जीवन साथी के चुनाव के कारण खतरे में पड़ सकते हैं।
यह घटना न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को रेखांकित करती है, बल्कि समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक सहिष्णुता की जरूरत पर भी ध्यान केंद्रित करती है।