दिल्ली विधानसभा चुनाव: भाजपा की उम्मीदवार सूची में देरी के कारण और संभावनाएं

Bjp President Jp Nadda And Union

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी में आमतौर पर भाजपा अन्य दलों से पहले अपने उम्मीदवारों की घोषणा करती है, लेकिन इस बार भाजपा का रुख चौंकाने वाला है।

  • जहां आम आदमी पार्टी (AAP) ने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं और कांग्रेस ने भी 21 नाम जारी कर दिए हैं, वहीं भाजपा ने अब तक अपनी लिस्ट जारी नहीं की है।
  • इस देरी के पीछे कुछ महत्वपूर्ण रणनीतिक और प्रक्रियात्मक कारण हो सकते हैं।

चुनाव समिति में देरी भी एक कारण

दिल्ली चुनावों के लिए भाजपा की चुनाव समिति के गठन में देरी हुई, जिससे उम्मीदवार सूची में भी देरी का प्रभाव पड़ा।

  • चुनाव समिति की भूमिका:
    • संभावित उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग।
    • राज्य चुनाव समिति और कोर कमेटी द्वारा नामों पर चर्चा और अनुमोदन।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के अनुसार, भाजपा की ये समितियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले संभावित नामों की समीक्षा करती हैं।
अब जब चुनाव समिति का गठन हो चुका है, उम्मीद है कि भाजपा जल्द ही अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करेगी।

सूची की घोषणा: दिसंबर के आखिरी सप्ताह की संभावना

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा अपने उम्मीदवारों के चयन के अंतिम चरण में है।

  • पार्टी दिसंबर के आखिरी सप्ताह में सूची जारी कर सकती है।
  • इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार्यालय में पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक हो चुकी है।
  • केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद नामों पर अंतिम मुहर लगने की संभावना है।

राष्ट्रीय नेतृत्व की बैठक

भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उम्मीदवारों पर चर्चा के लिए 20 दिसंबर को संसद सत्र समाप्त होने के बाद बैठक कर सकता है।

  • दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने बताया कि पार्टी को 2,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं।
  • प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से तीन संभावित उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया गया है।

चुनाव समिति से क्या संकेत मिलते हैं?

चुनाव समिति में भाजपा ने दिल्ली यूनिट के सभी प्रमुख चेहरों को शामिल किया है।

  • प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा।
  • लोकसभा सांसद और वरिष्ठ नेता मनोज तिवारी, बांसुरी स्वराज।
  • पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन।
  • कांग्रेस से भाजपा में आए अरविंदर सिंह लवली।
  • दो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष: सतीश उपाध्याय और मनोज तिवारी।

इससे साफ है कि भाजपा अपने पुराने दिग्गज नेताओं और जमीनी पकड़ वाले कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।

किन्हें मिलेगा मौका?

सूत्रों के अनुसार, भाजपा इस बार बड़े बदलाव करते हुए नई रणनीति अपना सकती है:

  • नए चेहरे: बड़ी संख्या में नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है।
  • महिला और युवा उम्मीदवार: पार्टी इस बार महिलाओं और युवाओं पर जोर दे रही है।
  • ग्राउंड कनेक्शन: ऐसे नेताओं को प्राथमिकता मिलेगी जिनकी निर्वाचन क्षेत्रों में मजबूत पकड़ है।
  • पुराने रिकॉर्ड: दो या उससे अधिक बार चुनाव हार चुके नेताओं के लिए मौका कम।
  • करीबी हार: जिन उम्मीदवारों ने पिछली बार करीबी मुकाबले में हार झेली, उन्हें भी विचार किया जा रहा है।

नई दिल्ली सीट: कड़ी टक्कर का उदाहरण

नई दिल्ली सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।

  • AAP: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल।
  • कांग्रेस: पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे।
  • भाजपा: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे परवेश वर्मा को तैयार रहने को कहा गया है।

यह सिर्फ नई दिल्ली का उदाहरण है। इस बार सभी सीटों पर दिग्गज उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।

भाजपा की चुनावी रणनीति: “आर या पार”

भाजपा 1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर है।

  • इस बार पार्टी, आप सरकार के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी को भुनाने और सत्ता हासिल करने के लिए मजबूत तैयारी कर रही है।
  • उम्मीदवारों का चयन सर्वेक्षणों, ग्राउंड रिपोर्ट, फीडबैक, और चुनावी आंकड़ों के गहन विश्लेषण के आधार पर किया जा रहा है।

भाजपा यह सुनिश्चित करना चाहती है कि हर सीट पर विजयी उम्मीदवार उतारा जाए। यही कारण है कि सूची में देरी हो रही है।