चंडीगढ़: कृषि मामलों की लोकसभा समिति ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने और प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के तहत दी जाने वाली सहायता राशि को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये करने की सिफारिश की है। यह सिफारिश ऐसे समय में आई है जब किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर खनौरी में आमरण अनशन पर बैठे हैं। इस अनशन ने एक बार फिर किसान आंदोलन को हवा दी है।
समिति की सिफारिशें
लोकसभा की कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण मामलों की समिति, जिसकी अध्यक्षता जालंधर के सांसद चरणजीत सिंह चन्नी कर रहे हैं, ने संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए कई अहम सुझाव दिए गए हैं।
- एमएसपी की कानूनी गारंटी:
समिति ने कहा है कि एमएसपी को कानूनी मान्यता मिलने से न केवल निवेश बढ़ेगा, बल्कि किसानों को उनकी फसल का तय मूल्य भी मिल सकेगा। - पराली प्रबंधन:
पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को मुआवजा देने की सिफारिश की गई है। किसानों ने पराली प्रबंधन के लिए 100 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजे की मांग की है। - किसान निधि सहायता:
समिति ने प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के तहत वार्षिक सहायता राशि को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये करने का प्रस्ताव रखा है।
कर्ज माफी और वित्तीय सहायता पर जोर
रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आय में गिरावट हो रही है, जिससे किसानों का कर्ज बढ़ रहा है।
- 2016-17 और 2021-22 के बीच ग्रामीण परिवारों में ऋणग्रस्तता का प्रतिशत 47.4% से बढ़कर 52% हो गया है।
- किसानों और खेतिहर मजदूरों का कर्ज माफ करने के लिए विशेष योजना शुरू करने की सिफारिश की गई है।
- समिति ने कहा है कि कर्ज का बढ़ता बोझ किसानों को आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर मजबूर कर रहा है।
पर्यावरण और बजट पर विशेष ध्यान
पराली जलाने से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दों और धान के कचरे के प्रबंधन के लिए मुआवजा देने पर भी समिति ने जोर दिया है। इसके साथ ही, कृषि क्षेत्र के लिए बजट बढ़ाने की सिफारिश भी की गई है।
क्या होगा आगे?
किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को ध्यान में रखते हुए यह रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है। अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार इन सिफारिशों को लागू करती है या नहीं। समिति की रिपोर्ट ने किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग को एक बार फिर प्रमुखता से सामने रखा है