भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने स्पष्ट किया है कि उसने फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) के ओवरसीज डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स (ODI) जारी करने पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है। सेबी ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है जिनमें दावा किया गया था कि एफपीआई को ओडीआई जारी करने से रोका गया है।
सेबी का स्पष्टीकरण
सेबी ने कहा, “एफपीआई के ऐसे ओडीआई जारी करने पर रोक लगाई गई है जिनके अंडरलाइंग में डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स शामिल हैं।” इसका मतलब यह है कि केवल उन्हीं ओडीआई पर प्रतिबंध है जो डेरिवेटिव आधारित हैं। सेबी ने यह भी कहा कि कैश मार्केट सिक्योरिटीज के आधार पर ओडीआई जारी करना पूरी तरह से अनुमत है। इस संबंध में सेबी ने 17 दिसंबर 2024 को एक सर्कुलर जारी किया था।
सर्कुलर की मुख्य बातें
सेबी के सर्कुलर में कहा गया है कि:
- एफपीआई ऐसे ओडीआई जारी नहीं कर सकते जिनके अंडरलाइंग में डेरिवेटिव्स हों।
- एफपीआई अपने डेरिवेटिव पोजिशन्स को भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में हेज करने के लिए ओडीआई का उपयोग नहीं कर सकते।
- एफपीआई को अब केवल एक अलग और डेडिकेटेड एफपीआई रजिस्ट्रेशन के जरिए ओडीआई जारी करने की अनुमति होगी।
- इस रजिस्ट्रेशन में ‘ODI’ शब्द एफपीआई के नाम के शुरू में जोड़ा जाना चाहिए और यह एक ही पैन के तहत होना चाहिए।
हालांकि, यह नियम सरकारी सिक्योरिटी को आधार बनाने वाले ओडीआई पर लागू नहीं होता है।
गलत खबरों का खंडन
18 दिसंबर 2024 को सेबी ने यह स्पष्ट किया कि मीडिया के कुछ वर्गों में गलत जानकारी फैलाई जा रही है। उन रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि एफपीआई के ओडीआई जारी करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। सेबी ने इसे गलत बताते हुए कहा कि यह रोक केवल डेरिवेटिव्स आधारित ओडीआई पर है, न कि सभी ओडीआई पर।