भारत में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ जल्द ही हकीकत बन सकता है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को लोकसभा में ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ पेश किया। इसके तुरंत बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विधेयक को व्यापक चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने की राय दी है।
क्या है ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल?
13 दिसंबर की रात जारी इस विधेयक के अनुसार, यदि लोकसभा या किसी राज्य विधानसभा को उसका कार्यकाल पूरा होने से पहले भंग कर दिया जाता है, तो मध्यावधि चुनाव केवल उस विधानसभा के लिए होंगे, जिसका कार्यकाल बाकी होगा।
विधेयक में निम्नलिखित संशोधन प्रस्तावित हैं:
- अनुच्छेद 82A: लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रावधान।
- अनुच्छेद 83, 172, और 327: संसद को चुनाव संबंधी प्रावधानों में संशोधन करने की शक्ति प्रदान करते हैं।
विधेयक की “नियत तिथि” (Appointed Date) राष्ट्रपति द्वारा घोषित की जाएगी, जो 2029 के लोकसभा चुनावों के बाद होगी। इसके बाद, लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकाल एक साथ समाप्त होंगे।
एक साथ चुनाव की योजना
सरकार की योजना के अनुसार, एक राष्ट्र, एक चुनाव दो चरणों में लागू किया जाएगा:
- पहला चरण: लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे।
- दूसरा चरण: आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी होंगे।
सभी चुनावों के लिए एक कॉमन वोटर लिस्ट होगी, जिसे चुनाव आयोग और राज्य चुनाव अधिकारी मिलकर तैयार करेंगे।
कोविंद पैनल की सिफारिशें
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में बनी समिति की प्रमुख सिफारिशें:
- 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद राज्य विधानसभाओं के चुनाव उसी तारीख के साथ होंगे।
- 2024 से 2028 के बीच बनने वाली राज्य सरकारों का कार्यकाल छोटा होगा।
- यदि किसी विधानसभा का कार्यकाल 2025 में शुरू होता है, तो वह 2029 तक चलेगी।
- त्रिशंकु सदन या अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में नए चुनाव कराए जा सकते हैं।
प्रस्तावित संवैधानिक संशोधन
पहला संवैधानिक संशोधन
- अनुच्छेद 82A: एक साथ चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने का प्रावधान।
दूसरा संवैधानिक संशोधन
- अनुच्छेद 324A: लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ नगर पालिका और पंचायत चुनाव कराने का अधिकार केंद्र सरकार को देगा।
राज्यों की भूमिका और मंजूरी
- लोकसभा और विधानसभा चुनाव से संबंधित पहले संशोधन को राज्यों की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।
- स्थानीय निकाय चुनावों के लिए दूसरे संशोधन को कम से कम आधे राज्यों की मंजूरी चाहिए होगी।
कार्यान्वयन प्रक्रिया
- संसद में दोनों विधेयकों के पारित होने के बाद, राष्ट्रपति की सहमति ली जाएगी।
- कानून बनने के बाद, कार्यान्वयन समूह इन प्रावधानों को लागू करेगा।
- एकल मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र संबंधी बदलाव भी प्रस्तावित हैं।
संभावित कानूनी चुनौतियां
विशेषज्ञों का मानना है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक कानूनी चुनौतियों का सामना कर सकता है। तर्क है कि यह संघवाद के सिद्धांत को प्रभावित कर सकता है क्योंकि इससे राज्यों की स्वायत्तता और स्थिर शासन के अधिकार पर असर पड़ेगा।