बांग्लादेश के वकील रवींद्र घोष को जान से मारने की धमकियां: अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा में डटे रहने का संकल्प

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बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील रवींद्र घोष ने सोमवार को दावा किया कि हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास का प्रतिनिधित्व करने का फैसला करने के बाद से उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। इसके बावजूद, उन्होंने अल्पसंख्यक अधिकारों और न्याय के लिए अपनी लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया है। फिलहाल रवींद्र घोष पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।

चिन्मय कृष्ण दास का मामला: उत्पीड़न के खिलाफ आवाज

चिन्मय कृष्ण दास, जो कि बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता हैं, हाल ही में ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किए गए थे। वे एक रैली में शामिल होने के लिए चटगांव जा रहे थे। जमानत की याचिका खारिज होने के बाद उन्हें 2 जनवरी तक जेल भेज दिया गया है।

रवींद्र घोष का मानना है कि दास को हिंदू समुदाय को एकजुट करने के प्रयासों के कारण झूठे आरोपों में फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि दास की बढ़ती लोकप्रियता और उनकी बड़ी सार्वजनिक सभाओं ने प्रशासन को असहज कर दिया है, जिसके चलते कट्टरपंथी ताकतों और अंतरिम सरकार ने उन्हें निशाना बनाया है।

झूठे मामलों की आशंका: संघर्ष जारी रखने का संकल्प

रवींद्र घोष ने बताया कि उन्हें आशंका है कि उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, “मुझे पता है कि मुझे फंसाने के लिए झूठे आरोप लगाए जा सकते हैं, लेकिन मैं इससे डरने वाला नहीं हूं। मैंने हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, चाहे वह हिंदुओं के लिए हो या मुसलमानों के लिए। मौत एक न एक दिन आएगी, लेकिन मैं न्याय के लिए संघर्ष करता रहूंगा।”

1971 के मुक्ति संग्राम का संदर्भ

घोष ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिंदू अल्पसंख्यकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के अत्याचार उस समय के ‘मूल सिद्धांतों’ को पराजित करते हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश का गठन पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) के नागरिकों के बीच असमानता को समाप्त करने के लिए हुआ था। लेकिन, आज अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार इस भावना के विपरीत हैं।

लगातार मिल रही हैं धमकियां

कोलकाता के पास बैरकपुर से पत्रकारों को संबोधित करते हुए, जहां वे इलाज के लिए ठहरे हुए हैं, रवींद्र घोष ने कहा, “जब से मैंने चिन्मय कृष्ण दास का मामला लड़ने की घोषणा की है, तब से मुझे जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। मुझे रोज धमकी भरे कॉल और मैसेज मिलते हैं। लेकिन ये धमकियां मुझे अपने कर्तव्य से रोक नहीं सकतीं।”

उन्होंने यह भी कहा कि वे हिंदू संतों और अल्पसंख्यकों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर सवाल

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए, रवींद्र घोष ने कहा कि दास का अपराध सिर्फ इतना है कि उन्होंने अल्पसंख्यकों को संगठित करने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाई। दास की सभाओं से प्रशासन असहज था, इसलिए उन्हें निशाना बनाया गया।

घोष का परिवार और स्वास्थ्य स्थिति

रवींद्र घोष अपनी पत्नी के साथ इलाज के लिए बैरकपुर आए हैं। वे अपने बेटे राहुल घोष के साथ रह रहे हैं, जो कई वर्षों से बैरकपुर में बसे हुए हैं। घोष का कहना है कि वे अपने स्वास्थ्य की स्थिति के बावजूद न्याय की लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे।