नई दिल्ली, 16 दिसंबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को भारत के भविष्य के विजन को दर्शाते हुए कहा कि विकास, राष्ट्रवाद, सुरक्षा, जन कल्याण, सकारात्मक शासन योजनाओं को केवल एक ही दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए और वह हमारे संविधान की प्रस्तावना का दृष्टिकोण है।
उपराष्ट्रपति ने आज दिल्ली में राष्ट्रीय रक्षा संपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीईएम) में 7वें रक्षा संपदा दिवस व्याख्यान को संबोधित करते हुए सटीक भूमि प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 2047 में विकसित भारत की ओर हमारे सफर में, प्रभावी प्रयोग के साथ सटीक भूमि प्रबंधन सर्वोपरि है और इसलिए मैं आपसे अपील करूंगा कि आप अपने लैंड बैंक का आवश्यक उपयोग सुनिश्चित करें। आवश्यक उपयोग विचारोपरांत होना चाहिए। यह समग्र होना चाहिए। यह अभिनव होना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि घने शहरी क्षेत्रों में रक्षा संपदाओं के गंभीर वाणिज्यिक आयाम हैं और इसलिए जो लोग इन क्षेत्रों में भी विकास लाना चाहते हैं, उन्हें उनकी अनुमति की आवश्यकता है। पारदर्शिता और जवाबदेही पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। रक्षा संपदा प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने पारदर्शिता और जवाबदेही की सबसे बड़ी पहचान एकरूपता और शीघ्रता पर प्रकाश डाला।
धनखड़ ने कहा कि जब भी विकास के ऐसे मुद्दे हों जो आपकी संपदा से परे हों और आपकी स्वीकृति की आवश्यकता हो, तो उसे संरचित किया जाना चाहिए व उसका आकलन होना चाहिए। किसी को भी इस बात पर संदेह नहीं होना चाहिए कि इस तरह की संस्था के लिए कहीं भेदभाव का कोई तत्व है, यहां तक कि अदृश्य भी। उपराष्ट्रपति ने भारतीय रक्षा संपदा सेवा के परिवर्तनकारी प्रभाव की सराहना की। उन्होंने कहा कि रणनीतिक रक्षा अवसंरचना और सतत विकास दोनों के लिए इस भूमि की आपकी निगरानी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कई देशों के पास इतने विशाल भूमि संसाधन नहीं है।
उन्होंने विवादों को सुलझाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आपके पड़ोस में लोग रहते हैं। आपके पास ऐसे लोग भी हैं जो आपकी संपदाओं से होकर गुजरने के रास्ते के अधिकार होने का दावा करते हैं। मामले अदालतों में भी पहुंचते हैं और अब यहीं पर आपका प्राथमिक ध्यान एक संरचित तंत्र पर होना चाहिए कि बातचीत के माध्यम से हम समाधान हासिल करें।
उपराष्ट्रपति ने दूरदर्शी रणनीतियों पर बल दिया और नवीन, प्राकृतिक और जैविक दृष्टिकोणों की खोज करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि अक्सर लोग कृषि, उत्पादकता और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में वृद्धि की बात करते हैं। वे इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं। आप किसान, जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए एक आदर्श बन सकते हैं। आप फल, सब्जियाँ, डेयरी उत्पाद के मामले आप पहले जैसी स्थिति में भी आ सकते हैं।