संविधान और राजनीतिक विकल्प@75

15 12 2024 Sampadki 9434688

लोकसभा में संविधान@75 के तहत सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच दो दिनों से चर्चा चल रही है. संविधान के मुताबिक किए गए कार्यों को लेकर दोनों पार्टियां समर्थन और विरोध में आमने-सामने हैं. पिछले 75 वर्षों के सत्ता में रहने के दौरान एक-दूसरे के कार्यों के गुण-दोषों को छोटी-बड़ी रेखा बनाकर दोष दिया जा रहा है। हालांकि कांग्रेस लंबे समय से सत्ता में है और अब केंद्र की मोदी सरकार भी यहीं से अपनी बात शुरू करती है कि कैसे कांग्रेस ने देश को थोड़ा फायदा और ज्यादा नुकसान पहुंचाया है.

विपक्षी दल भी तर्कों के साथ अपनी बात रख रहा है. संविधान पर इस खुली चर्चा में यह स्पष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है कि इन साढ़े सात दशकों में किस पार्टी की सरकार देश को संविधान के अनुसार चलाने में सफल रही है। वहीं दूसरी ओर दोनों पार्टियों के बीच पूरी तरह से प्रतिद्वंद्विता का माहौल बना हुआ है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो यहां तक ​​कह दिया है कि संविधान का अपमान करने का कांग्रेस के दामन पर खून लगा है. उनका कहना है कि कांग्रेस ने कभी संविधान का सम्मान नहीं रखा. मोदी ने बड़े उत्साह से यह प्रचारित किया कि उनकी सरकार में जो भी काम हो रहे हैं, वे संविधान की मूल भावना को ध्यान में रखकर किये जा रहे हैं।

पीएम मोदी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर डॉ. कांग्रेस में मनमोहन सिंह के उस समय के कार्यकाल को भी कटघरे में खड़ा किया गया है. वहीं, विपक्षी दल भी हर बात को ध्यान से पढ़ने और घुमा-फिरा कर जवाब देने से नहीं चूक रहे हैं. कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इसी चर्चा में कहा कि केंद्र सरकार ने एकलव्य की तरह किसानों और गरीबों का अंगूठा काट दिया है.

राहुल गांधी का कहना है कि मौजूदा सरकार ने पूरे देश में एक खास वर्ग के उद्योगपतियों का एकाधिकार स्थापित कर लिया है. हालांकि, राहुल गांधी ने सावरकर का भी खास अंदाज में जिक्र किया है और बीजेपी की मौजूदा सरकार से बड़ा सवाल पूछा है. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब दोनों पार्टियां एक-दूसरे की हरकतों को ‘अंडरलाइन’ सवालों से घेरकर और पलटवार कर चर्चा का विषय बनी हैं. यह स्वतंत्रता के बाद से संविधान की गौरवपूर्ण यात्रा पर विचार करने और उस पर चर्चा करने का अवसर है।

होना तो यह भी चाहिए कि जिन बिन्दुओं पर कोई भी सरकार संविधान के अनुरूप कार्य करने में विफल रही है, उन बिन्दुओं पर गोला बनाया जाए। कमियां तो बताई ही जानी चाहिए लेकिन इसके साथ ही यह भी बताया जाना चाहिए कि देश के विकास के लिए मिलकर संविधान का उपयोग कैसे किया जाए।

बशर्ते कि इस बात पर बहस हो कि संविधान की प्रत्येक धारा के अनुसार देश को आगे और पीछे कौन ले जा सका है, तो यह समझना चाहिए कि देश संविधान के स्तंभ पर खड़ा है, न कि अनावश्यक राजनीतिक विकल्पों पर।