उस्ताद जाकिर हुसैन, जिनकी तबले की आवाज ने संगीत की दुनिया में खास पहचान बनाई, अब हमारे बीच नहीं हैं। 73 साल की उम्र में उनका निधन हो गया और भारतीय समयानुसार सोमवार सुबह अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में उन्होंने अंतिम सांस ली। उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत गंभीर थी और उन्हें रक्तचाप की समस्या का सामना करना पड़ रहा था। इसके अलावा फेफड़ों में फाइब्रोसिस भी उनकी गंभीर हालत का मुख्य कारण था।
जाकिर हुसैन के बारे में
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन महान तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा खान के बेटे थे और उन्होंने तबले की शिक्षा अपने पिता से ली थी। उनके संगीत सफर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपना पहला कॉन्सर्ट महज 11 साल की उम्र में अमेरिका में दिया था। उनका और तबले का रिश्ता करीब 62 साल तक चला। इस लंबे सफर के दौरान उस्ताद हुसैन ने तीन ग्रैमी पुरस्कार जीते और उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया। उनके योगदान ने तबले को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर विशेष पहचान दिलाई और उनकी कला ने संगीत जगत को एक नई दिशा दी।
संगीत में योगदान और सम्मान
जाकिर हुसैन ने तबला वादन की अपनी अनूठी शैली से न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान बनाई। अपने पिता और महान तबला वादक अल्लाह रक्खा से प्रेरणा लेकर वे उनके बताए रास्ते पर चले और संगीत की दुनिया में अपार सफलता हासिल की। उनकी कला और योगदान को देखते हुए उन्हें भारत सरकार द्वारा 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया।
जाकिर हुसैन नेट वर्थ
नेटवर्थ की बात करें तो मशहूर तबला वादक के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर दी गई जानकारी के मुताबिक उनकी संपत्ति 8-10 करोड़ रुपये के बीच है। इंडियाफोरम के मुताबिक उनकी कुल संपत्ति करीब 5-6 करोड़ रुपये बताई जाती है. वह एक कॉन्सर्ट के लिए करीब 5 से 10 लाख रुपए चार्ज करते थे।