शेख हसीना का मोहम्मद यूनुस पर हमला: अलोकतांत्रिक समूह का नेतृत्व करने का आरोप

Sheikh Hasina Mounts Attack On Yunus

Sheikh Hasina Mounts Attack on Yunus: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रविवार को देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर तीखा हमला बोलते हुए उन पर एक अलोकतांत्रिक समूह का नेतृत्व करने का आरोप लगाया। हसीना ने यूनुस को फासीवादी करार दिया और कहा कि उनकी सरकार का मुख्य उद्देश्य मुक्ति संग्राम और मुक्ति समर्थक ताकतों की भावना को दबाना है।

16 दिसंबर: बांग्लादेश का विजय दिवस

16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश ने स्वतंत्रता हासिल की थी। इसी दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। 16 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन प्रमुख जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया था। यह आत्मसमर्पण भारतीय सेना और मुक्ति वाहिनी की संयुक्त सेना के सामने हुआ था, जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में नई पहचान मिली।

अगस्त 2024 में बड़े पैमाने पर हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण शेख हसीना को देश छोड़कर भारत आना पड़ा था।

हसीना का बयान और यूनुस पर आरोप

शेख हसीना ने अपने बयान में कहा कि राष्ट्रविरोधी समूहों ने असंवैधानिक तरीके से सत्ता हथिया ली है। उन्होंने कहा:

“फासीवादी यूनुस के नेतृत्व में यह अलोकतांत्रिक समूह सत्ता पर काबिज हो चुका है और इनका जनता के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है।”

हसीना का आरोप है कि यूनुस और उनकी सरकार जन कल्याण कार्यों में बाधा डाल रही है।

बढ़ती महंगाई और जन समस्याओं पर निशाना

शेख हसीना ने यूनुस सरकार पर बढ़ती महंगाई और जन समस्याओं को लेकर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा:

“बांग्लादेश के लोग बढ़ती कीमतों के बोझ तले दबे हुए हैं। चूंकि यह सरकार लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई नहीं है, इसलिए उनकी जनता के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है।”

हसीना ने यह भी कहा कि यूनुस की सरकार का मुख्य उद्देश्य मुक्ति संग्राम और मुक्ति समर्थक ताकतों की आवाज को दबाना है।

सत्ता संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता

शेख हसीना के इस बयान से साफ जाहिर होता है कि बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और सत्ता संघर्ष जारी है। हसीना का मोहम्मद यूनुस पर आरोप देश में बढ़ते राजनीतिक तनाव को दर्शाता है।