संधि मुद्रा: रोजाना सुबह संधि मुद्रा करने से जोड़ों के दर्द, गठिया में फायदा हो सकता

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संधि मुद्रा: शरीर में अलग-अलग दर्द के कई कारण हो सकते हैं। कई लोग उम्र बढ़ने के कारण जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं तो कई लोग थायराइड की बीमारी से पीड़ित रहते हैं। इसके अलावा बहुत अधिक प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ खाने से भी गठिया या जोड़ों के दर्द की समस्या हो सकती है। अगर आप प्राकृतिक रूप से इस समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो योग सबसे अच्छा विकल्प है। जिसमें संधि मुद्रा गठिया और जोड़ों के दर्द के लिए एक आसान आसन है। इन समस्याओं में संधि मुद्रा फायदेमंद साबित हो सकती है। 

 

संधि मुद्रा क्या है?

ऐसा कहा जाता है कि संधि मुद्रा पृथ्वी मुद्रा और आकाश मुद्रा की संधि है। पृथ्वी मुद्रा अंगूठे को अनामिका उंगली से जोड़ने पर बनती है और आकाश मुद्रा मध्यमा उंगली को अंगूठे से जोड़ने पर बनती है। संधि मुद्रा में ये दोनों मुद्राएँ संयुक्त होती हैं। 

संधि मुद्रा कैसे करें?

संधि मुद्रा करने के लिए सबसे पहले दाहिने हाथ के अंगूठे को अनामिका उंगली के अगले भाग से मिलाएं। बाएं हाथ के अंगूठे को बीच वाली उंगली के अगले भाग से स्पर्श कराते हुए रखें. इस मुद्रा को प्रतिदिन 4-4 बार 15 मिनट तक करें। संधि मुद्रा करने से शरीर में जहां भी दर्द हो, वहां से राहत मिल जाएगी। संधि मुद्रा से गठिया के रोगियों को भी फायदा हो सकता है। 

 

जोड़ों के दर्द से राहत 

जिन लोगों को जोड़ों के दर्द या चोट के कारण दर्द रहता है उन्हें सर्दियों में नियमित रूप से संधि मुद्रा करनी चाहिए। जोड़ों के दर्द की समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाई जाती है। जो लोग अधिक वजन के कारण घुटने, कंधे या पीठ के दर्द से पीड़ित हैं वे भी इस मुद्रा को कर सकते हैं। 

 

गठिया रोग में लाभ 

संधि मुद्रा गठिया के रोगियों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है। जिन लोगों को थायराइड है उन्हें भी यह योग रोजाना सुबह चार बार 15 मिनट तक करना चाहिए। इस योग को करने के साथ-साथ डाइट में हेल्दी चीजों को भी शामिल करें।