सोने की कीमतों में लगातार बढ़त
कॉमेक्स पर सोने की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है। सोना 2 सप्ताह के उच्चतम स्तर $2,697 के करीब कारोबार कर रहा है।
- घरेलू बाजार में भी सोने की कीमतों में आधे प्रतिशत से अधिक की बढ़त देखी गई।
- इसके पीछे मुख्य कारण है अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना।
- अगले सप्ताह, अमेरिका में 0.25% की दर कटौती की उम्मीद से कीमतों को समर्थन मिल रहा है।
आगामी अमेरिकी महंगाई आंकड़ों पर नजर
बाजार की नजर अब अमेरिका के महंगाई आंकड़ों पर है, जो सोने की कीमतों को और प्रभावित कर सकते हैं।
चांदी के बाजार में सीमित हलचल
चांदी की कीमतों में सीमित कारोबार देखा गया।
- वैश्विक बाजार में चांदी की कीमतें $31 के करीब हैं।
- घरेलू बाजार में चांदी की कीमतें ₹95,568 के स्तर के आसपास स्थिर रहीं।
बेस मेटल्स में मिलाजुला रुख
कल की नरमी को तोड़ते हुए, आज के शुरुआती कारोबार में घरेलू बाजार में बेस मेटल्स में मिला-जुला प्रदर्शन देखा गया।
- तांबे में सबसे ज्यादा बढ़त देखी गई।
- सीसा को छोड़कर अन्य धातुओं में सपाट से सकारात्मक कारोबार दर्ज किया गया।
क्रूड ऑयल में रिकवरी
सीरिया से जुड़ी चिंताओं में कमी आने से क्रूड ऑयल में सुधार देखा गया।
- ब्रेंट क्रूड की कीमतें $72 से ऊपर पहुंच गईं।
- नायमेक्स क्रूड में भी आधे प्रतिशत से अधिक की खरीदारी दर्ज की गई।
- बाजार की नजर अब अमेरिकी इन्वेंट्री आंकड़ों पर टिकी हुई है।
प्राकृतिक गैस में तेजी
शुरुआती कारोबार में प्राकृतिक गैस की कीमतें 1% बढ़कर ₹270 के स्तर पर पहुंच गईं।
मसाला पैक और अन्य कृषि उत्पादों का हाल
मसाला पैक:
- शुरुआती सत्र में मसालों का कारोबार मजबूत रहा।
- ग्वार पैक भी सपाट से सकारात्मक रहा।
- हालांकि, कैस्टर और कॉटनसीड में दबाव देखा गया।
पाम तेल:
- वैश्विक बाजार में पाम तेल की कीमतें ढाई साल के उच्चतम स्तर के करीब हैं।
- मलेशिया में पाम तेल की कीमतें 5,150 रिंगिट से ऊपर पहुंच गई हैं।
सोयाबीन:
- सोयाबीन की कीमतों को मांग में बढ़त और आपूर्ति में कमी से समर्थन मिला।
- चीन में स्थितियों में सुधार की उम्मीद से कीमतें बढ़ी हैं।
गुजरात में फसलों की बुआई में कमी
गुजरात में शीतकालीन फसलों की बुआई में गिरावट दर्ज की गई है।
- पिछले वर्ष की तुलना में 29% की कमी देखी गई है।
- चना और गेहूं की खेती में कमी के कारण कुल बुआई प्रभावित हुई।
- 9 दिसंबर 2024 तक राज्य में कुल 25.38 लाख हेक्टेयर में फसलें बोई गईं।
- चना की बुआई में 17% की गिरावट हुई, जो घटकर 95 हजार हेक्टेयर रह गई।