बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले: शेख हसीना के हटने के बाद बढ़ी सांप्रदायिक हिंसा

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बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का नया दौर शुरू हो गया है। शेख हसीना की सरकार के दौरान हिंदू समुदाय अपेक्षाकृत सुरक्षित था, लेकिन उनके पद से हटते ही हालात बदल गए। मुहम्मद यूनुस के अंतरिम सरकार का नेतृत्व संभालने के बाद हिंदुओं पर हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ गईं। हालात इतने भयावह हो गए कि हिंदू होना जैसे अपराध बन गया। इन अत्याचारों की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी, लेकिन बांग्लादेश की सरकार ने चुप्पी साधे रखी।

भारत के कड़े विरोध और दखल के बाद बांग्लादेश सरकार को आखिरकार सच्चाई स्वीकार करनी पड़ी। बांग्लादेश ने शेख हसीना के हटने के बाद अल्पसंख्यकों पर हिंसा की 88 घटनाएं होने की बात मानी है।

शेख हसीना के हटने के बाद हिंसा का दौर

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, बांग्लादेश सरकार ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के हटने के बाद, मुख्य रूप से हिंदुओं को निशाना बनाते हुए सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं हुईं। हालांकि, बांग्लादेश की नई सरकार इस स्वीकारोक्ति को अपनी उपलब्धि बताने से नहीं चूकी।

मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने दावा किया कि इन घटनाओं में अब तक 70 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।

भारत के हस्तक्षेप के बाद बांग्लादेश का कबूलनामा

बांग्लादेश की सरकार ने यह सच तब स्वीकार किया, जब भारत ने सख्त लहजे में विरोध जताया। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बांग्लादेशी नेतृत्व से मुलाकात कर अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर चिंता जाहिर की। उन्होंने हिंदुओं की सुरक्षा और कल्याण को लेकर भारत की गंभीरता से बांग्लादेश को अवगत कराया।

शफीकुल आलम ने संवाददाताओं को बताया कि 5 अगस्त से 22 अक्टूबर के बीच हिंदुओं के खिलाफ 88 मामले दर्ज किए गए हैं। भारत की चेतावनी के बाद बांग्लादेश को मजबूरन ये आंकड़े सार्वजनिक करने पड़े।

नई गिरफ्तारियों की संभावना

प्रेस सचिव शफीकुल आलम के मुताबिक, हिंसा के मामलों की जांच अभी भी जारी है। उन्होंने कहा कि नए मामलों और गिरफ्तारियों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। विशेष रूप से पूर्वोत्तर सुनामगंज, मध्य गाजीपुर और अन्य इलाकों में हिंसा की नई घटनाएं सामने आई हैं।

शफीकुल आलम ने यह भी कहा कि कुछ मामलों में पीड़ितों का संबंध पूर्ववर्ती सत्तारूढ़ पार्टी से हो सकता है। यह बयान साफ करता है कि यूनुस सरकार मामले की गंभीरता को हल्के में लेने की कोशिश कर रही है।

यूनुस सरकार के दावों पर सवाल

मुहम्मद यूनुस की सरकार हिंदुओं पर हमलों की गंभीरता को नकारने में जुटी है। सरकार का दावा है कि कुछ अपवादों को छोड़कर, धार्मिक आस्था के आधार पर हमले नहीं किए गए। लेकिन वास्तविकता यह है कि हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाओं में इजाफा हुआ है।

प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने यह भी कहा कि 22 अक्टूबर के बाद की घटनाओं का विवरण जल्द जारी किया जाएगा। हालांकि, यूनुस सरकार की नीतियों और बयानबाजी से साफ है कि भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में कड़वाहट बढ़ गई है।

भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव

मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश ने भारत के साथ अपने संबंधों को कमजोर कर लिया है। जहां शेख हसीना की सरकार के दौरान दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध थे, वहीं यूनुस सरकार के सत्ता में आते ही ये संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। भारत की कड़ी चेतावनी के बावजूद बांग्लादेश की सरकार की उदासीनता और हिंदुओं के प्रति लापरवाही ने हालात बिगाड़ दिए हैं।

हिंदुओं की सुरक्षा पर सवाल

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा को लेकर अब गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। शेख हसीना के कार्यकाल में हिंदू समुदाय को सुरक्षा मिली थी, लेकिन अब उनकी जान-माल पर खतरा बढ़ गया है।

भारत ने साफ कर दिया है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा उसकी प्राथमिकता है और बांग्लादेश की सरकार से इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की उम्मीद की जा रही है।