उत्तर प्रदेश के कानपुर का बहुचर्चित ज्योति मर्डर केस एक बार फिर सुर्खियों में है। इस सनसनीखेज मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुख्य साजिशकर्ता पीयूष श्यामदासानी की प्रेमिका मनीषा मखीजा को बरी कर दिया है। मनीषा पर हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप था, लेकिन सबूतों के अभाव में उसे आरोपमुक्त कर दिया गया। दूसरी ओर, ज्योति के पति पीयूष श्यामदासानी सहित पांच दोषियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा गया है।
10 साल पुराना हत्याकांड जिसने पूरे देश को झकझोर दिया
27 जुलाई 2014 को हुए इस नृशंस हत्याकांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि एक पति इतनी बेरहमी से अपनी पत्नी की हत्या करा सकता है। महज 20 महीने की शादीशुदा जिंदगी के बाद, पीयूष के मन में इतनी नफरत कैसे आई कि उसने हत्यारों से कहा कि जब वे उसकी पत्नी का कत्ल करें, तो वह उसकी चीख सुनना चाहता है।
आइए जानते हैं इस हत्याकांड की पूरी कहानी।
घटना का दिन: 27 जुलाई 2014
रविवार, 27 जुलाई 2014, कानपुर की गलियां रोज की तरह व्यस्त थीं। दोपहर करीब 12:30 बजे, पीयूष श्यामदासानी ने पुलिस को सूचना दी कि बाइक सवार बदमाशों ने उसकी पत्नी ज्योति को कार समेत अगवा कर लिया। उसने बताया कि बदमाशों ने उसकी पिटाई की और फिर उसकी पत्नी को कार में ले भागे। पीयूष के बयान ने शहर में सनसनी मचा दी।
अमीर कारोबारी का बेटा और सनसनीखेज अपहरण
पीयूष किसी साधारण परिवार से नहीं था। वह शहर के मशहूर अरबपति कारोबारी ओम प्रकाश दासानी का छोटा बेटा था। उसकी सूचना पर पुलिस हरकत में आ गई। कानपुर पुलिस ने शहरभर में नाकाबंदी कर दी। पीयूष का रो-रोकर बुरा हाल था। पूरा शहर इस घटना से हिल चुका था।
पीयूष की कहानी पर शक की शुरुआत
पीयूष ने पुलिस को बताया कि घटना के वक्त उसने रास्ते से गुजरने वाले लोगों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। फिर एक बाइक वाले ने उसे लिफ्ट दी और वह पुलिस स्टेशन पहुंचा। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद थे।
हालांकि, पीयूष की कहानी में कई झोल थे:
- घटना के बाद कपड़े बदलने का शक – पोस्टमॉर्टम के समय पीयूष ने अलग टी-शर्ट पहन रखी थी।
- चोट के निशान नहीं – उसने बताया कि बदमाशों ने उसकी पिटाई की, लेकिन उसके शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं थे।
- सूचना देने में देरी – अपहरण की सूचना देने में एक घंटे की देरी क्यों हुई?
जांच में खुलते राज
पुलिस ने घटना की गहराई से जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि पीयूष लगातार किसी से फोन पर बात कर रहा था। कॉल डिटेल की छानबीन में एक नंबर मिला, जिससे वह घंटों बातचीत करता था। यह नंबर मनीषा मखीजा का था, जो एक पान मसाला कारोबारी की बेटी थी।
पुलिस के हाथ लगे सबूत
पुलिस ने मनीषा मखीजा को हिरासत में लेकर पूछताछ की। पूछताछ में पीयूष टूट गया और उसने ज्योति की हत्या की साजिश कबूल कर ली। उसने बताया कि उसने अपने ड्राइवर अवधेश और नौकरानी रेणु को हत्या की सुपारी दी थी।
ज्योति की दर्दनाक हत्या
हत्या के दिन, पीयूष ने ज्योति को लॉन्ग ड्राइव के लिए तैयार किया। कार में उसके साथ ड्राइवर अवधेश और नौकरानी रेणु भी थे। रावतपुर रोड पर कार रोककर, अवधेश और रेणु ने ज्योति पर तेज धार हथियार से 17 बार वार किए। ज्योति की चीखें गूंज रही थीं, लेकिन पीयूष का दिल नहीं पसीजा।
ज्योति की डायरी और पीयूष की बेवफाई
पुलिस को ज्योति की एक डायरी मिली, जिसमें उसने अपनी तकलीफें बयां की थीं। उसने लिखा था कि पीयूष ने उसे कभी पत्नी का दर्जा नहीं दिया। शादी के बाद से ही वह मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित होती रही।
मनीषा मखीजा का बरी होना
हालांकि, मनीषा पर आरोप था कि उसने पीयूष के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची। लेकिन सबूतों की कमी के चलते इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसे बरी कर दिया।
न्याय की उम्मीद बरकरार
इस केस में पीयूष श्यामदासानी और अन्य चार दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली है। यह केस हमें याद दिलाता है कि प्यार, धोखा और लालच कितनी भयावह त्रासदियों को जन्म दे सकते हैं।