आज के दौर में इनफर्टिलिटी (बांझपन) एक आम समस्या बन गई है। बहुत-सी महिलाएं प्राकृतिक रूप से कंसीव करने में दिक्कतों का सामना कर रही हैं। वहीं, कई महिलाएं करियर और व्यक्तिगत लक्ष्यों को हासिल करने के बाद ही मातृत्व की योजना बनाती हैं। हालांकि, इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ फर्टिलिटी यानी गर्भधारण की क्षमता में कमी आना स्वाभाविक है। ऐसे में महिलाओं को बाद में कंसीव करने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
आधुनिक तकनीकों ने इस चुनौती को काफी हद तक आसान बना दिया है। IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) और IUI (इंट्रा यूटेरिन इनसेमिनेशन) जैसे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की मदद से अब महिलाएं आसानी से कंसीव कर सकती हैं। इसके बावजूद, कई महिलाएं फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की जानकारी के अभाव में इनका लाभ नहीं उठा पातीं।
डॉ. मितुल गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट (ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी), कोकून हॉस्पिटल, जयपुर, ने कुछ प्रभावी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के बारे में जानकारी दी है। यदि आप भी प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण करने में असमर्थ हैं, तो इस लेख में बताए गए विकल्प आपकी मदद कर सकते हैं।
आईवीएफ (IVF) क्या है और कैसे काम करता है?
IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) को आम भाषा में टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक कहा जाता है। इस प्रक्रिया में महिला के अंडाणु (एग) और पुरुष के शुक्राणु (स्पर्म) को लैब में मिलाया जाता है। इसके बाद जो भ्रूण (एंब्रियो) विकसित होता है, उसे महिला के गर्भाशय में इम्प्लांट किया जाता है। यह उन कपल्स के लिए एक कारगर तकनीक है, जो प्राकृतिक रूप से कंसीव नहीं कर पा रहे हैं।
कब अपनाएं IVF?
- महिला की उम्र अधिक हो
- फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज हो
- एंडोमेट्रियोसिस की समस्या हो
- अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी (जिसका कारण ज्ञात न हो)
IVF का सक्सेस रेट (IVF Success Rate)
- 35 वर्ष से कम उम्र: 32%
- 35-37 वर्ष: 25%
- 38-39 वर्ष: 19%
- 40-42 वर्ष: 11%
- 43-44 वर्ष: 5%
- 44 वर्ष से अधिक: 4%
भारत में IVF की सफलता दर लगभग 30-35% है, जबकि कुछ बेहतरीन क्लीनिक 35 वर्ष से कम आयु की महिलाओं के लिए 40-45% तक की सफलता दर की रिपोर्ट करते हैं। ग्लोबल स्तर पर, युवा महिलाओं में औसत IVF सफलता दर लगभग 40% है।
आईयूआई (IUI) क्या है और कैसे काम करता है?
IUI (इंट्रा यूटेरिन इनसेमिनेशन) एक सरल और कम जटिल प्रक्रिया है। इसमें पुरुष के शुक्राणु को लैब में साफ करके सीधे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। यह प्रक्रिया डॉक्टर की निगरानी में सुरक्षित तरीके से की जाती है।
कब अपनाएं IUI?
- स्पर्म काउंट कम हो
- स्पर्म की मूवमेंट (गतिशीलता) कम हो
- महिला के अंडाशय से संबंधित हल्की समस्याएं हों
- अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी
IUI का सक्सेस रेट (IUI Success Rate)
IUI की सफलता दर महिला की उम्र पर निर्भर करती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, एग की संख्या और गुणवत्ता कम होती जाती है। IUI की उम्र के अनुसार सफलता दर इस प्रकार है:
- 20-30 वर्ष: 17.6%
- 31-35 वर्ष: 13.3%
- 36-38 वर्ष: 13.4%
- 39-40 वर्ष: 10.6%
- 40 वर्ष से अधिक: 5.4%
फर्टिलिटी ट्रीटमेंट क्यों है जरूरी?
- खराब जीवनशैली:
- आजकल का असंतुलित आहार, तनाव और फिजिकल एक्टिविटी की कमी इनफर्टिलिटी का मुख्य कारण है।
- करियर प्राथमिकता:
- महिलाएं करियर में स्थिरता के बाद परिवार की योजना बनाती हैं, जिससे उम्र के साथ गर्भधारण में मुश्किलें आती हैं।
- हेल्थ कंडीशन्स:
- PCOS, एंडोमेट्रियोसिस, थायराइड और अन्य बीमारियां फर्टिलिटी को प्रभावित करती हैं।
IVF और IUI के बीच मुख्य अंतर
IVF | IUI |
---|---|
जटिल और महंगी प्रक्रिया | सरल और किफायती प्रक्रिया |
लैब में एग और स्पर्म को मिलाकर भ्रूण तैयार किया जाता है | स्पर्म को सीधे गर्भाशय में डाला जाता है |
सफलता दर अधिक (30-40%) | सफलता दर कम (10-20%) |
ट्यूब ब्लॉकेज, एंडोमेट्रियोसिस जैसी गंभीर समस्याओं के लिए उपयुक्त | हल्की इनफर्टिलिटी समस्याओं के लिए उपयुक्त |
फर्टिलिटी बढ़ाने के टिप्स
- स्वस्थ आहार:
- फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त भोजन करें।
- नियमित व्यायाम:
- रोजाना योग, वॉक या हल्की एक्सरसाइज करें।
- तनाव प्रबंधन:
- ध्यान और मेडिटेशन से तनाव कम करें।
- शराब और धूम्रपान से बचें:
- ये आदतें फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचाती हैं।
- स्वास्थ्य जांच:
- नियमित रूप से फर्टिलिटी संबंधित जांच करवाएं।