केंद्र सरकार कठोरता से बांग्लादेश में उसके संविधान को लागू कराए: बिनोद गाडयान

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रांची, 09 दिसंबर (हि.स.)। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समाज और हिंदुओं के मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ 10 दिसंबर को होने वाले राजभवन मार्च की पूर्व संध्या पर सोमवार को चिन्मय मिशन के बिनोद गाडयान ने रोष एवं चिंता जाहिर करते हुए कहा कि बांग्लादेश सरकार को अविलंब इस अत्याचार को रोकना चाहिए।

झारखंड के सर्व सनातन समाज के तत्वावधान में रांची स्टेशन रोड स्थित होटल ग्रीन होराइजन में आयोजित पत्रकार वार्ता में गाडयान ने कहा कि अब हिन्दू समाज जाग चुका है और इसका उदाहरण 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के दिन देखने को मिलेगा। जब दुनियाभर के हिन्दू, सिख और बौद्ध समाज के लोग बांग्लादेश में हो रहे अत्याचार के विरोध में सड़कों पर उतरेंगे। साथ ही बांग्लादेश सरकार को चेतावनी देने का काम करेंगे।

उन्होंने कहा कि झारखंड की राजधानी रांची में भी हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन धर्म को मानने और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को लेकर जो लोग चिंतित हैं वे सभी लोग 10 दिसंबर को मोरहाबादी से राजभवन तक प्रदर्शन मार्च निकाल कर अपनी गहरी आवाज देश और बांग्लादेश के प्रधानमंत्रियों को संदेश देने के लिए जुटेंगे। साथ ही राज्यपाल को ज्ञापन सौपेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कठोरता के साथ बांग्लादेश में उसके संविधान को लागू कराए।

गाडयान ने इस्कॉन फाउंडेशन के संत चिन्मय दास को देशद्रोही का आरोप लगाकर गिरफ्तार किये जाने का विरोध जताया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के संविधान के अनुच्छेद 2ए में कहा गया है कि यद्यपि हम मुस्लिम राष्ट्र हैं फिर भी यहां हिन्दू, बौद्ध, सिख और ईसाई सहित अन्य सभी धर्मों की सुरक्षा के लिए हम संकल्पित हैं। फिर भी आज जिस प्रकार से वहां के अल्पसंख्यक के मानवाधिकार का हनन हो रहा है और यूनाइटेड नेशन खामोश है यह एक चिंता का विषय है।

मौके पर अखिल भारतीय संत समाज समिति के उपाध्यक्ष के प्रमुख स्वामी दिव्यानंद महाराज ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार को रोकें। उन्होंने कहा कि देश की सरकार ने भी सीधे और सरल शब्दों निंदा की और कहा कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों की मानवाधिकार की रक्षा बांग्लादेश सरकार करे। साथ ही कहा कि केंद्रीय विदेश सचिव 20 प्रतिनिधियों के साथ बांग्लादेश गए हैं। यह प्रतिनिधिमंडल वहां की सरकार से वार्ता करेगा, जिसमें भारत सरकार की चिंता और मांगों से अवगत कराएगा। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के लोगों के जगने का अवसर है। सिर्फ मानवाधिकार दिवस मानना काफी नहीं है, बल्कि इसको लागू भी सही ढंग से लागू किया जाना चाहिए।

चिन्मय मिशन के प्रमुख स्वामी पूर्णानन्द ने कहा कि बांग्लादेश को यह नहीं भूलना चाहिए कि आपका जन्मदाता भारत ही है। यदि भारत आपसे रूठ जाए तो आपको बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। आपकी आर्थिक स्थिति डावांडोल हो सकती है। इसलिए आप पाकिस्तान के पिछलग्गू होने से अपने देश को बचाएं। स्वेताम्बर जैन समाज के सचिव बिनोद जैन बैग्वानी ने कहा कि बांग्लादेश में जल्द शांति बहाल किया जाए।

बौद्ध समाज के पवन कुमार लामा ने कहा कि भाई-भाई का प्रेम नहीं दिख रहा है। उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक के खिलाफ हो रहे अत्याचार का पुरजोर तरीके से विरोध किया। साथ ही भारत सरकार तथा यूएन से मांग करते हुए कहा कि बांग्लादेश में मानवाधिकारों की सुरक्षा की जाए। मेन रोड गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथि विक्रमजीत सिंह ने कहा कि चाहे सिख धर्म हो या हिन्दू समाज हो पहले हम मानव हैं। जब मानव पर कोई अत्याचार होता है तो सबको चोट लगती है। इस अत्याचार को जितनी जल्दी हो रोका जाए उतनी अच्छी है। यदि यह नहीं रुका तो यह और जगह भी बढ़ सकता है। जहां भी अत्याचार होगा सिख समाज उसके खिलाफ खड़ा रहेगा।