भारत-ऑस्ट्रेलिया ने सीसीईए की समीक्षा बैठक में साझा प्रतिबद्धता दोहराई

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नई दिल्ली, 09 दिसंबर (हि.स.)। भारत और ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) से सम्बन्धित तीन दिवसीय समीक्षा बैठक 6 दिसंबर, 2024 को नई दिल्ली में संपन्न हुई। इस समीक्षा बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य विभाग के अपर सचिव और मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल ने किया जबकि ऑस्ट्रेलियाई प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मामले और व्यापार विभाग के प्रथम सहायक सचिव और मुख्य वार्ताकार रवि केवलराम ने किया।

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि 4 से 6 दिसंबर, 2024 तक आयोजित सीईसीए बैठक दोनों देशों के बीच व्यापार और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी। मंत्रालय ने कहा कि ये समीक्षा बैठक 19 से 22 अगस्त, 2024 तक सिडनी में आयोजित 10वें दौर की वार्ता के बाद हुई है, जिसमें दोनों पक्षों ने सीईसीए के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण प्रगति की थी।

मंत्रालय ने बताया कि नई दिल्ली में हुई ये समीक्षा बैठक उन्‍हीं प्रयासों की निरंतरता को बनाए रखने के लिए थी। इस बैठक में दोनों देशों ने व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला और कृषि क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर एक रचनात्मक संवाद किया। बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने अब तक की प्रगति का मूल्यांकन किया और व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते के शीघ्र निष्‍कर्ष के लिए आगे के मार्ग की रूपरेखा बनाई।

वाणिज्‍य मंत्रालय ने कहा कि इस बैठक में हुए विचार-विमर्श में सीईसीए के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया गया, जिसमें वस्तुओं, सेवाओं, गतिशीलता, कृषि-प्रौद्योगिकी संबंधी सहयोग और अन्य क्षेत्रों में व्यापार शामिल है। बैठक में दोनों पक्षों ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता पर बल दिया कि सीईसीए दोनों देशों के लिए सार्थक लाभ और एक संतुलित परिणाम प्रदान करे।

उल्‍लेखनीय है कि भारत-ऑस्ट्रेलिया क्षेत्रीय और वैश्विक पहलों जैसे कि हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क संबंधी समृद्धि (आईपीईएफ) और त्रिपक्षीय मजबूत आपूर्ति श्रृंखला पहलों में भी (एससीआरआई) प्रमुख साझेदार हैं। भारत-ऑस्ट्रेलिया सीईसीए ढांचे के तहत निरंतर सहयोग और संवाद के जरिए आर्थिक प्रगति, कृषि विकास और क्षेत्रीय समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता को एकबार फिर दोहराया है। ये फ्रेमवर्क क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखलाओं की मजबूती को और मजबूत करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।