अस्पृश्यता की भावना एक अभिशाप, जिसे मिलकर दूर करना होगा : रंजना साहू

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धमतरी, 7 दिसंबर (हि.स.)। अस्पृश्यता निवारण के लिए किए जा रहे है कार्यों एवं अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों और योजनाओं की जानकारी के लिए अस्पृश्यता निवारणार्थ सद्भावना शिविर का आयोजन सात दिसंबर को धमतरी क्षेत्र के ग्राम करेठा में आयोजित किया गया।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व विधायक रंजना डीपेंद्र साहू ने कहा कि, अस्पृश्यता, जाति व्यवस्था पर आधारित एक सामाजिक बहिष्कार की प्रथा है, यह प्रथा बहुत लंबे समय से चली आ रही थी जिसे संविधान में अनुच्छेद 17 से हटा कर देश में सब एक की भावना लाई गई। अस्पृश्यता का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह के सभी लोगों के शरीर को सीधे छूने से बचना या रोकना, आज सभी समाज संगठित होकर एक मत से चल रहे हैं और बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के सपनो को आगे बढ़ा रहा है। किंतु कुछ जगहों में आज भी अस्पृश्यता की भावना लोगों में है, जिसे दूर करने सभी अपने सामाजिक दायित्व को पूरा करने की आवश्यकता है, इसका प्रारंभ हमें स्कूल स्तर पर बच्चों में सभी समुदायों के प्रति समानता की भावना विकसित कर सकते हैं। जनपद सदस्य जागेंद्र पिंकू साहू ने कहा कि अस्पृश्यता का प्रचलन बहुत लंबे समय से चला आ रहा है। अस्पृश्यता को खत्म करने के लिए समानता का अधिकार भी अहम भूमिका निभाता है। अस्पृश्यता निवारणार्थ सद्भावना शिविर में पूर्व विधायक रंजना साहू सहित सर्व समाज ने एक साथ भोजन कर समरसता का संदेश दिया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से ग्राम पंचायत सरपंच संजय भोंसले, समाजसेवी लता अवनेंद्र साहू, दानीटोला वार्ड पार्षद अज्जू देशलहरे, बूथ अध्यक्ष दयाराम सिन्हा, पंचराम सिन्हा, सुनीता ध्रुव, उपसरपंच घनश्याम ध्रुव, सतनामी समाज अध्यक्ष लोकेश गायकवाड़, शेष कुमार ध्रुव पंच सहित ग्राम एवं क्षेत्र के बड़ी संख्या में सामाजिक बंधुजन उपस्थित रहे।

अस्पृश्यता करने पर है सजा का प्रावधान

इस अवसर पर सहायक संचालक विमल कुमार साहू जिला प्रशासन आदिवासी विभाग ने अस्पृश्यता निवारणार्थ सद्भावना शिविर के आयोजन की जानकारी दी। कहा कि जिसमें अस्पृश्यता को खत्म करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 का प्रावधान है, यह अनुच्छेद अस्पृश्यता की प्रथा पर रोक लगाता है और उसे प्रतिबंधित करता है, इसमें सजा का भी प्रावधान है।