प्रयागराज, 07 दिसम्बर (हि.स.)। वेदों, पुराणों और स्मृतियों में संरक्षित ज्ञान को आज तक जीवंत बनाये रखने के लिये भगवान व्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत महापुराण, महर्षि वाल्मीकि के रामायण एवं पूज्य संत गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के माध्यम से ही आज सनातन भी सुरक्षित हैं और सनातन धर्मानुयायिओं को अपने पूर्वकालिक ज्ञान-विज्ञान, धर्म, परम्परा और जीवन पद्धति का ज्ञान हो पाता है।
यह बातें आदि जगद्गुरु शंकराचार्य मंदिर के श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी शांतानन्द सरस्वती जी महाराज कक्ष में शनिवार से प्रारम्भ आराधना महोत्सव में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि श्रीमज्ज्योतिष्पीठ की गुरु परम्परा के अनुसार ही उन ब्रह्मलीन हुये गुरुओं को श्रद्धा, सम्मान व श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिय प्रत्येक वर्ष 9 दिवसीय आराधना महोत्सव का कार्यक्रम अलोपीबाग स्थित आश्रम में आयोजित किया जाता है।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने भगवान आदिशंकराचार्य मंदिर में स्थित भगवान आदिशंकराचार्य, ज्योतिष्पीठोद्धारक शंकरचार्य, ब्रह्मलीन ब्रह्मानन्द सरस्वती, ज्योतिष्पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन स्वामी शांतानन्द सरस्वती, ज्योतिष्पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेंवानन्द, भगवान राधामाधव, भगवान चन्द्रमौलेश्वर, राजराजेश्वरी, माता त्रिपुरसुन्दरी, श्रीरामचरितमानस ग्रंन्थ की पूजा-आरती की।
मध्य प्रदेश से आए कथाव्यास आचार्य ओम नारायण तिवारी ने अपने सारगर्भित कथा के माध्यम से श्रीमद्भागवतमहापुराण की महिमा और पुराण की कथा सुनने से प्राप्त होने वाले पुण्य फलों का विस्तार से वर्णन करते हुये कहा कि श्रीमद्भागवतमहापुराण व्यास जी की अंतिम कृति है। व्यास जी स्वयं भगवान के अवतार हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति पर अज्ञान का पर्दा पड़ा रहता है, इसलिये उसे ज्ञान नहीं दिखता। हम जब अन्तःकरण से भगवान को मानते हैं तब भगवान हमारे अन्तःकरण में निवास करता है। वास्तव में मरता वह व्यक्ति है जो ईश्वर को भूल जाता है।
दण्डी संन्यासी स्वामी विनोदानंद महाराज, स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती, ब्रह्मचर्य पुरी महाराज, पूर्व उपप्रधानाचार्य पं0 शिवार्चन उपाध्याय, बुंदेलखण्ड सह प्रांत प्रचारक मुनीष कुमार आदि ने श्रीमद्ज्योतिष्पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन स्वामी शांतानन्द सरस्वजी के चित्र पर माल्यार्पण करके आशीर्वाद लिया। मनीष कुमार और सीताराम शर्मा ने कथाव्यास ओम नारायण तिवारी को शाल ओढ़ाकर माल्यार्पण करके सम्मानित किया। प्रातः 7 बजे से 12 बजे तक जयपुर से आए प्यारेमोहन ने अपने साथियों के साथ श्रीरामचरितमानस का सस्वर संगीतबद्ध नवान्ह परायण (पाठ) किया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पं0 विपिन मिश्रा महाराज, पं0 अभिषेक मिश्रा, पं0 मनीष, राजेश राय, दीपक कुमार पाण्डेय, अनुराग त्रिपाठी एवं महिला सहित लगभग 400 भक्तों ने भाग लिया। अंत में 7 बजे से भगवान मैदानेश्वर महादेव के भद्र रूद्राभिषेक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। श्रीमद्ज्योतिष्पीठ प्रवक्ता ओंकानाथ त्रिपाठी ने बताया कि आश्रम में प्रतिदिन आराधना महोत्सव का कार्यक्रम 15 दिसम्बर तक इसी प्रकार चलता रहेगा।