फरीदाबाद-नोएडा-गाजियाबाद एक्सप्रेसवे (एफएनजी एक्सप्रेसवे) के निर्माण की जिम्मेदारी एक बार फिर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को देने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। इस बार उत्तर प्रदेश की बजाय हरियाणा सरकार ने इसके लिए प्रयास शुरू किए हैं। इससे पहले राज्य सरकार ने नोएडा प्राधिकरण के जरिए दो-तीन प्रयास भी किए थे, जो सफल नहीं रहे। हरियाणा सरकार भी इसे अपने स्तर पर बनाने की तैयारी कर रही है।
नोएडा और हरियाणा सरकार के पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के बीच मंगलवार को हुई बैठक में एफएनजी निर्माण की जिम्मेदारी एनएचएआई को देने के संकेत मिले हैं। एफएनजी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए नोएडा प्राधिकरण की एक टीम मंगलवार को फरीदाबाद गई थी। बैठक में यमुना पर बनने वाले पुल और उसे जोड़ने वाली सड़क के एलाइनमेंट पर चर्चा हुई। इसके मुताबिक नोएडा प्राधिकरण अपने क्षेत्र में यमुना पर बनने वाले पुल को जोड़ने वाली सड़क बनाएगा। वहां मौजूद अधिकारियों ने बताया कि यमुना पर बनने वाले पुल और अन्य कार्यों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। इसे मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। इसके बाद आगे की प्रक्रिया की जाएगी। यमुना पर बनने वाला पुल जमीन से करीब 14 मीटर की ऊंचाई पर होगा। इसे जोड़ने वाली सड़क की ऊंचाई भी काफी होगी।
यमुना पर बनने वाले इस पुल पर 200 से 250 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। यह लागत नोएडा और हरियाणा सरकार बराबर-बराबर वहन करेगी। यह पुल फरीदाबाद के लालपुर गांव के पास जोड़ा जाएगा। अहम बात यह है कि पुल के अलावा एफएनजी के लिए फरीदाबाद क्षेत्र में सड़क बनाने के लिए किसानों से काफी जमीन ली जानी है। आज के समय में किसान आसानी से जमीन देने को तैयार नहीं हैं। नए कानून के तहत जमीन अधिग्रहण करने में सरकार को ज्यादा आर्थिक बोझ उठाना पड़ेगा। इस पर एक हजार करोड़ से ज्यादा खर्च आने का अनुमान है। फरीदाबाद में अभी एफएनजी पर कोई काम नहीं हुआ है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो हरियाणा सरकार ने इस प्रोजेक्ट को दोबारा एनएचएआई को सौंपने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया है
नोएडा प्राधिकरण के प्रस्ताव पर पिछले सालों में यूपी सरकार ने एफएनजी का काम एनएचएआई को देने की कोशिश की थी। इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र भी भेजा गया था। एक बार एनएचएआई की टीम आई, तब तक ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का अधिकांश हिस्सा बनकर तैयार हो चुका था। ऐसे में पेरिफेरल के निर्माण के बाद सरकार ने एफएनजी की उपयोगिता को नकारते हुए इसके निर्माण की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया।
नोएडा में बहुत काम हुआ है
नोएडा क्षेत्र में एफएनजी को लेकर काफी काम हुआ है। कुछ जगहों पर छोटे-छोटे टुकड़ों में सड़क बननी बाकी है, जिस पर किसानों के साथ कोर्ट में विवाद है। यमुना पुल से सड़क को जोड़ने के लिए प्राधिकरण को किसानों से जमीन भी लेनी है, जो आसान प्रक्रिया नहीं है। इसके अलावा नोएडा में एक जगह एलिवेटेड रोड, एक फ्लाईओवर और एक अंडरपास बनाने का प्रस्ताव है। इन कामों पर 1500 से दो हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।