परिवार और जिम्मेदारियों के बीच अक्सर महिलाओं की सेहत को नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हार्ट अटैक अब सिर्फ पुरुषों की समस्या नहीं रह गई है? बदलती जीवनशैली, तनाव और बढ़ते स्वास्थ्य खतरों के कारण महिलाओं में दिल की बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। खासकर, 40 की उम्र के बाद हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
ऐसे में हार्ट स्क्रीनिंग एक ऐसा कदम है जो न केवल समय रहते समस्याओं का पता लगाता है, बल्कि जान बचाने में भी मददगार साबित हो सकता है। अपने दिल की सेहत को नज़रअंदाज़ न करें।
आधुनिक जीवनशैली, तनाव, खराब खानपान और व्यायाम की कमी के कारण महिलाओं में हृदय रोगों का खतरा बढ़ रहा है। लंबे समय तक तनाव और नींद की कमी का सीधा असर हृदय पर पड़ता है।
2. हार्मोनल परिवर्तन और जोखिम
महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक सुरक्षा कवच का काम करता है। इस बदलाव के बाद महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
3. अभाव
सही जानकारी और जागरूकता के अभाव में कई महिलाएं दिल से जुड़ी समस्याओं के शुरुआती लक्षणों को अनदेखा कर देती हैं। पुरुषों में हार्ट अटैक के लक्षण, जैसे सीने में तेज़ दर्द, हमेशा महिलाओं में एक जैसे नहीं होते। महिलाओं को थकान, सांस फूलना या हल्का दर्द महसूस हो सकता है, जिसे वे आम समस्या मानकर अनदेखा कर देती हैं।
4. पारिवारिक इतिहास और आनुवंशिक कारक :
अगर परिवार में किसी को दिल की बीमारी है तो महिलाओं में भी इसका खतरा बढ़ जाता है। अगर परिवार में पहले से ही इसका इतिहास है तो नियमित रूप से दिल की जांच करवाना बहुत जरूरी है।
निवारक उपाय क्या हैं?
विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं को नियमित रूप से रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और शुगर की जांच करानी चाहिए। स्वस्थ आहार, व्यायाम और तनाव पर नियंत्रण के साथ-साथ नियमित रूप से हृदय की जांच करवाना हृदय रोगों से बचाव में मददगार हो सकता है।