फतेहाबाद, 30 नवंबर (हि.स.)। जिले के भट्टू क्षेत्र के गांव रामसरा में जेबीटी अध्यापक की गोली मारकर हत्या करने के मामले में कार्रवाई करते हुए भट्टूकलां पुलिस ने 25 हजार के इनामी बदमाश राकेश उर्फ कालू निवासी जिला हिसार को दबोचा है। पुलिस ने आरोपी को शनिवार को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया है।
आरोपी राकेश उर्फ कालू कुख्यात पुन्नू गैंग व भांभू गैंग से जुड़ा बताया जा रहा है। गुरूग्राम एसटीएफ ने आरोपी राकेश को थाइलैंड से गिरफ्तार किया था। राकेश फर्जी पासपोर्ट पर थाइलैंड भाग गया था। हिसार में महेन्द्रा शोरूम पर फायरिंग व फिरौती मांगने के मामले में वह हिसार जेल में बंद था। इस बारे में जानकारी देते हुए थाना भट्टूकलां प्रभारी एसआई कुलदीप सिंह ने बताया कि इस बारे में पुलिस ने एक मार्च 2021 को आदमपुर के गांव दड़ौली निवासी स्टालिन की शिकायत पर केस दर्ज किया था। शिकायतकर्ता के अनुसार उसके चाचा सुरेन्द्र का लडक़ा जितेन्द्र सिंह उर्फ पिकी रामसरा प्राइमरी स्कूल में जेबीटी अध्यापक के पद पर कार्यरत था। जब वह दोपहर को स्कूल से बाहर आया तो इसी दौरान मोटरसाइकिल पर आए दो युवकों ने जितेन्द्र पर अंधाधुंध गोलियां चला दी।
इस घटना में जितेन्द्र की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस मामले में जिला पुलिस द्वारा आरोपी राकेश उर्फ कालू पर 25 हजार का इनाम घोषित किया था। मामले में अहम सुराग जुटाते हुए भट्टूकलां पुलिस ने आरोपी राकेश को प्रोडक्शन वारंट पर लाकर अदालत में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया। आरोपी राकेश उर्फ काला पर फतेहाबाद के अलावा आदमपुर, हिसार, भिवानी, बरवाला, गोहाना, गुरूग्राम, सिरसा, सोनीपत व भट्टूकलां में भी हत्या, धोखाधड़ी सहित अनेक केस दर्ज है। मिली जानकारी के अनुसार पुलिस पूछताछ में राकेश उर्फ कालु ने बताया कि 2019 में कत्ल के केस में हिसार जेल में बंद था तो वहां उसकी मुलाकात अनिल उर्फ मोनू निवासी ज्ञानपुरा के साथ हुई। उसने अनिल को अपने पिता की मौत का बदला लेने व शराब के ठेकेदारों से निपटने की बात की थी। इसके बाद 2020 में उम्रकैद होने पर वह बीकानेर जेल चला गया।
वहां उसकी मुलाकात जगदीश उर्फ बबलू गढ़वाल निवासी बांडाहेड़ी के साथ हुई। इसके बाद अपने दादा की मौत के बाद वह पैरोल पर आया था और वापस जेल नहीं गया। इसके बाद वह जगदीश् के साथ एक मुर्गी फार्म पर चले गए। वहां उसे मुकेश पुनिया डाबड़ी, विनोद तरड़, मोनू, बच्ची मिले। इन सभी ने मिलकर रामसरा में काम करने वाले मास्टर जितेन्द्र को मारने की योजना बनाई क्योंकि जितेन्द्र ने कई गांवों के शराब के ठेके लिए हुए थे। आरोपियों ने जितेन्द्र को कहा था कि वह आदमपुर सर्कल के ठेके ले ली और दड़ौली के ठेके उनके लिए छोड़ दें लेकिन जितेन्द्र नहीं माना। इसके बाद एक मार्च को योजना अनुसार मोनू व बच्ची ने जितेन्द्र की हत्या कर दी थी।