हिसार : सूत्रकृमियों के जैव नियंत्रण से ही फसलों का बचाव संभव : डॉ. पूनम जसरोटिया

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एचएयू में ‘कृषि में सूत्रकृमियों का महत्त्व’, विषय पर दो दिवसीय वार्षिक समीक्षा बैठक संपन्नहिसार, 28 नवंबर (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत-कृषि में सूत्रकृमियों का महत्व विषय पर आयोजित दो दिवसीय वार्षिक समीक्षा बैठक गुरुवार को सम्पन्न हो गई। इस बैठक में देश भर के 24 केन्द्रों के वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों ने भाग लिया।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. पूनम जसरोटिया ने कहा कि सूत्रकृमियों के जैव नियंत्रण से फसलों को बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सूत्रकृमियों की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है और किसानों को इस समस्या से निदान करने में सूत्रकृमि वैज्ञानिकों का योगदान महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। सूत्रकृमि की समस्या का निदान करने के लिए वैज्ञानिकों को और अधिक बेहतर ढंग से कार्य करना होगा।

प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर डॉ. गौतम चावला ने विभिन्न केन्द्रों द्वारा सूत्रकृमियों को लेकर किए गए कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं से इस क्षेत्र में आपसी तालमेल के साथ कार्य करने पर भी बल दिया। बैठक में जैव विविधता, सूत्रकृमियों से उत्पादन में कमी, विभिन्न फसलों, सब्जियों, तिलहन, संरक्षित खेती तथा जैव नियंत्रण के साथ सूत्रकृमि में नियंत्रण के परिणाम साझा किए गए तथा भविष्य की योजना बनाई गई। डॉ. आरके जैन ने सूत्रकृमि वैज्ञानिकों के पदों की संख्या बढ़ाए जाने पर जोर दिया ताकि देश में बढ़ती जा रही इस समस्या से निपटने के लिए योजनाबद्ध ढंग से कार्य किया जा सके। डॉ. एचएस गॉड ने बताया कि भूतकाल के अनुभव से भविष्य की योजना बनाकर सूत्रकृमि का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। डॉ. क्रान्ति ने संरक्षित खेती में सूत्रकृमि नियंत्रण के बारे में बताया। बैठक में डॉ. हेमराज, डॉ. निशी केसरी, डॉ.होसागुदार, डॉ. प्रहलाद, डॉ. आशीष कुमार व डॉ. मंजुनाथ ने गत वर्ष के दौरान किए गए कार्यों की जानकारी दी। डॉ. अनिल कुमार ने बैठक में धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया। मंच का संचालन डॉ. चेत्रा भट्ट ने किया।