महाराष्ट्र सीएम: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजे आए 72 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है. हालांकि, मुख्यमंत्री कौन बनेगा इस पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कोई नया या पुराना दावा करने की भी संभावना जताई जा रही है. पिछले कुछ सालों से बीजेपी का यह चलन रहा है कि अगर मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करने में 72 घंटे से ज्यादा समय लग जाए तो कोई सरप्राइज नेता आ जाता है.
आइये देखते हैं ऐसी स्थिति पहले कब बनी थी
ओडिशा में पूर्ण बहुमत हासिल करने के बाद, भाजपा को मुख्यमंत्री का फैसला करने में आठ दिन लग गए और आखिरकार आदिवासी समुदाय से मोहन माजी के नाम पर मुहर लग गई। इस रेस में धर्मेंद्र प्रधान और मनमोहन संबल जैसे दिग्गज नेताओं के नाम थे.
2023 के अंत में, राजस्थान विधानसभा चुनाव जीता और नौ दिन बाद, भाजपा ने नए सीएम के नाम की घोषणा की। वसुन्धरा राजे जैसी दिग्गज नेता हाशिए पर चली गईं. भजनलाल शर्मा के नाम की घोषणा की गई, जो किसी रेस में नहीं थे.
मध्य प्रदेश में भी 2023 में बीजेपी ने कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल, शिवराज सिंह चौहान जैसे बड़े नेताओं की जगह मोहनलाल यादव के नाम का ऐलान किया. उस समय भी चुनाव नतीजों के आठ दिन बाद मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की गई थी.
2023 में छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी ने विष्णुदेव राय को कुर्सी सौंपकर सबको चौंका दिया. उस समय रमन सिंह और अरुण सबसे आगे थे. मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करने में सात दिन लग गए.
2017 में राजनीति के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला. मुख्यमंत्री तय करने में बीजेपी को नौ दिन लग गए. केशव प्रसाद मौर्य और मनोज सिन्हा का नाम लगभग फाइनल माना जा रहा था. वहां अचानक योगी आदित्यनाथ के नाम की घोषणा हुई.
2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें जीतीं लेकिन किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल सका. ऐसे में एनसीपी ने सरकार को बाहर से समर्थन देने का ऐलान किया. मुख्यमंत्री बनने की रेस में नितिन गडकरी, विनोद तावड़े, पंकजा मुंडे के नाम थे. सात दिन बाद मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हुई और देवेंद्र फड़णवीस को चुना गया.
कहीं अब नितिन पटेल जैसा तो नहीं होगा?
इतना ही नहीं, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में भी बीजेपी ने मुख्यमंत्री के लिए चौंकाने वाले नामों का ऐलान किया. डर यह भी है कि कहीं देवेन्द्र फड़णवीस की हालत गुजरात के नितिन पटेल जैसी तो नहीं हो गई. गुजरात के दो बार मुख्यमंत्री बनने के लिए नितिन पटेल का नाम लगभग तय हो गया था, जब आनंदीबेन पटेल ने इस्तीफा दे दिया और विजय रूपाणी ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. हालांकि दोनों बार अंत तक नितिन पटेल का ही नाम चला लेकिन आख़िर में सत्ता का स्वाद दूसरों को चखना पड़ा.