जोधपुर, 27 नवम्बर (हि.स.)। राष्ट्रपति अवॉर्ड से सम्मानित मारवाड़ रत्न गुरु गोविंद कल्ला का 86 वर्ष की उम्र में मंगलवार रात निधन हो गया। गीत, संगीत व परंपराओं के एनसाइक्लोपीडिया कहे जाने वाले कल्ला मांड गायकी, गवर के गीत, सोरठे, हिरणी, विरह गीतों के ज्ञाता थे। उन्हें लेकर केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित कई लोगों ने शोक जताया है।
कल्ला सकल फाग के गीतकार व संगीत निर्देशक व जागरूक युवा फोर्स के संरक्षक व मांड शोध संस्थान के चेयरमैन थे। कल्ला ने अपने जीवन काल में दूरदर्शन सहित कई रंगमंचों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाया। संगीत कला व गायकी व परंपराओं के कई शोधार्थियों को गुरु गोविंद कल्ला का मार्गदर्शन मिला। कल्ला अपने राजकीय सेवा कार्य के दौरान तीन बार जिला कलेक्टर से सम्मानित हो चुके हैं। उन्होंने डबल एमए, एमएड, आईजीडी, आरडी ऑनर्स किया था। वह साहित्य रत्न, संगीत प्रभाकर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुए। इसके साथ ही, शिक्षाविद भारतीय शास्त्रीय संगीत की ध्रुपद गायकी में तानसेन के गुरु बाबा हरिदासजी डागर घराना पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। चित्रकार, मूर्तिकार, साहित्यकार, राजस्थानी भाषा के कवि, गीतकार एवं संगीत निर्देशक, फिल्मों में कला निर्देशक, निर्देशक व लाइट एवं साउंड तकनीकी के जाने माने निर्देशक भी रहे। रंगकर्मी के साथ वैदिक श्याम गान में राग व्याकरणाचार्य रत शताब्दी की नई शास्त्रीय राग अटल विजयश्री के रचियता, कार्टूनिस्ट, कला पुरोधा कल्ला ने कई समाचार पत्र-पत्रिकाओं में राजस्थानी व हिंदी भाषा में कॉलम भी लिखे।