समानता और न्याय के मामले में भारत का संविधान अमेरिका से भी आगे: न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव

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लखनऊ, 26 नवंबर (हि.स.)। 75वें संविधान दिवस के अवसर पर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के विधि अध्ययन पीठ में मंगलवार को केन्द्रीय संचार ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, लखनऊ की ओर एक संगोष्ठी व चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में संविधान की महत्ता, इसके निर्माण की यात्रा और इसके प्रभाव पर चर्चा की गई।

उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि समानता और न्याय के मामले में भारत का संविधान अमेरिका से भी आगे है। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में पूरा संविधान निहित है।

डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. अमर पाल सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान के मार्गदर्शन में भारत जल्द ही विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।

लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. विनीता काचर ने कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि देश को रोशनी दिखाने वाला एक चिराग है। उन्होंने कहा कि संविधान में निहित पारदर्शिता के कारण भारत की महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और लोकसभा अध्यक्ष जैसे उच्च पदों पर आसीन रही हैं।

बीबीएयू की प्रोफेसर डॉ. सुदर्शन वर्मा ने संविधान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि 26 नवंबर 1949 को तैयार किया गया संविधान केवल सरकार को नियम ही नहीं, बल्कि उद्देश्यों का भी मार्ग दिखाता है। उन्होंने बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान की प्रशंसा की, जिन्होंने दो वर्ष 11 महीने और 18 दिनों में संविधान का निर्माण किया, जो एक मजबूत और सशक्त भारत की नींव बना।

इस अवसर पर केंद्रीय संचार ब्यूरो के निदेशक अधिकारी मनोज कुमार वर्मा ने कहा कि “संविधान इस देश की आत्मा है। यह हमें अधिकार प्रदान करने के साथ-साथ कर्तव्यों का भी स्मरण कराता है।” उन्होंने संविधान के निर्माण की यात्रा पर आधारित चित्र प्रदर्शनी को देखने की अपील की।

संगोष्ठी में विधि अध्ययन पीठ के विद्वानों, प्राध्यापकों और छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और संविधान की भावना को आत्मसात करने का संकल्प लिया।