लोअर सुबनसिरी जल विद्युत परियोजना : भारत का ऊर्जा भविष्य

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गेरुकामुख/ईटानगर, 25 नवंबर (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का एक खूबसूरत राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता और संसाधनों के लिए जाना जाता है। इसे भारत का ‘उगता सूरज’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह देश का पहला राज्य है जो सुबह की रोशनी का स्वागत करता है। इसी राज्य में स्थित है भारत की सबसे महत्वाकांक्षी और विशाल जलविद्युत परियोजनाओं में से एक लोअर सुबनसिरी जल विद्युत परियोजना। यह असम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित है। यह न केवल अरुणाचल प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए ऊर्जा उत्पादन और सतत विकास का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनने जा रहा है। इसका 94 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।

सुबनसिरी लोअर जल विद्युत परियोजना के एग्जीक्यूटिव निदेशक और परियोजना प्रमुख राजेंद्र प्रसाद बताते हैं- सुबनसिरी लोअर जल विद्युत सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना भारत की सबसे बड़ी कन्वेंशनल बाईड्रॉप पावर परियोजना होगी। मार्च 2025 तक इस परियोजना के 250-250 मेगावाट की तीन इकाइयों की शुरूआत होने की संभावना है। वहीं मई 2026 तक सभी इकाईयां शुरू हो जाएगी। इस परियोजना से राजस्थान सहित पश्चिमी राज्यों के साथ-साथ देश के 17 राज्यों में बिजली की आपूर्ति की जाएगी।

सुबनसिरी लोअर जल विद्युत परियोजना के अंतर्गत कुल 8 इकाइयां स्थापित की जा रही हैं, जिनसे कुल 2000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इसके अंतर्गत असम में 533 मेगावाट, अरुणाचल प्रदेश में 274 मेगावाट, और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों (मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम) में 198 मेगावाट की आपूर्ति की जाएगी। उत्तरी राज्यों (हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़) में भी इस परियोजना से बिजली की आपूर्ति की जाएगी। सुबनसिरी परियोजना की महत्वपूर्ण विशेषताएं परियोजना का निर्माण 2005 में शुरू हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों पर विशेष ध्यान देने के कारण सुबनसिरी जल विद्युत परियोजना को तेज़ी से गति मिली है। इस परियोजना की प्रगति से क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा मिल रहा है। इसमें एक विशाल 116 मीटर ऊंचा और 284 मीटर लंबा कंक्रीट ग्रेविटी डैम बनाया गया है। इसके साथ ही बिजली उत्पादन के लिए आधुनिक टरबाइन और जनरेटर्स लगाए गए हैं।

परियोजना के कंक्रीट बैचिंग और मिक्सिंग प्लांट में 860 क्यूबिक मीटर प्रति घंटे की क्षमता वाला एक प्लांट, एक ट्विन शाफ्ट मिक्सिंग प्लांट, और जर्मनी के केटीआई का एक चिलिंग और आइस प्लांट शामिल है। यह भारत में बांध निर्माण के लिए सबसे बड़ा बैचिंग और मिक्सिंग प्लांट है। इसके अलावा, रोटर टॉवर बिल्डर फ़ाइडरम का उपयोग भारत में पहली बार डेमो कंक्रीटिंग के लिए किया गया। इस परियोजना की एक विशेषता यह है कि इसमें 8 लेन के प्रेशर शाफ्ट हैं, जिनका व्यास 8 मीटर है। इसका मुख्य उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है।

सुबनसिरी नदी ब्रह्मपुत्र नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है, जो अरुणाचल प्रदेश और असम के जंगलों और पहाड़ियों से होकर बहती है। यह क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर है। स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। लोअर सुबनसिरी परियोजना इस नदी के पानी का उपयोग करके ऊर्जा उत्पादन करती है। परियोजना के निर्माण के दौरान करीब तीन हजार स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं। इसके अलावा इस परियोजना ने क्षेत्र में आधारभूत संरचना के विकास, जैसे सड़कों, पुलों और स्वास्थ्य सुविधाओं को भी बढ़ावा दिया है। यह परियोजना स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करके कोयले और अन्य प्रदूषणकारी स्रोतों पर निर्भरता कम करने में मील का पत्थर साबित होगी।