कोलकाता, 25 नवंबर (हि.स.) । पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी को भर्ती घोटाला मामले में कोलकाता की अदालत ने जमानत दे दी है। सोमवार को यह फैसला आया, जिसके तहत अर्पिता को पांच लाख रुपये के मुचलके पर जमानत मिली। हालांकि, पार्थ चटर्जी की जमानत का मामला अभी भी अदालत में लंबित है।
साल 2022 में शिक्षा भर्ती घोटाले की जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 22 जुलाई को दक्षिण कोलकाता के नाकतला स्थित पार्थ चटर्जी के घर पर छापा मारा था। इसी दौरान अर्पिता मुखर्जी के टालीगंज और बेलघरिया स्थित फ्लैटों से भारी मात्रा में नकदी, विदेशी मुद्रा और आभूषण बरामद किए गए थे। ईडी ने अर्पिता के दो फ्लैटों से कुल 49 करोड़ 80 लाख रुपये नकद, पांच करोड़ आठ लाख रुपये मूल्य के आभूषण और सात देशों की विदेशी मुद्रा बरामद की थी।
इस घोटाले में पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी दोनों को 22 जून 2022 को गिरफ्तार किया गया था। अर्पिता के फ्लैटों में मिली संपत्ति के आधार पर माना जा रहा था कि उनकी जमानत मुश्किल होगी, लेकिन 857 दिन बाद उन्हें राहत मिल गई। अदालत ने अर्पिता की जमानत के लिए कुछ शर्तें भी तय की हैं। उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करना होगा और मुकदमे के दौरान राज्य के बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी।
पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के दो जजों—न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति अपूर्व सिंह रॉय—की राय अलग-अलग होने के कारण मामला एकल पीठ के पास भेजा गया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने यह मामला न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती की पीठ को सौंपा है, जिसकी सुनवाई इस सप्ताह होने की संभावना है।
अर्पिता मुखर्जी को हाल ही में अपनी मां के निधन के चलते अदालत से पांच दिन की पैरोल मिली थी। पैरोल की अवधि खत्म होते ही अब उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है।