देहरादून, 25 नवंबर (हि.स.)। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि उनके तीन साल के कार्यकाल की अवधि में बाल अधिकारों को जन-जन तक पहुंचाने और बच्चों के संरक्षण को प्राथमिकता दी गई। शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण और बाल श्रम जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना सोमवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों को संबोधित कर रही थीं।उन्होंने अपने तीन साल के कार्यकाल की उपलब्धियां साझा करते हुए कहा कि कहाकि आयोग की पहली प्राथमिकता उसकी पहचान को निचले स्तर तक पहुंचाना था। इसके लिए लगातार कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों को लेकर जन-जागरुकता बढ़ाने के लिए हमने ब्लॉक और जिला स्तर पर कई कार्यक्रम किए गए। अब तक आयोग ने बड़ी सफलता के साथ बच्चों और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए काम किया है।
डॉ खन्ना ने कहा कि आयोग ने अपने तीन साल के कार्यकाल में बच्चों के कल्याण और अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण पहल कीं। जागरुकता अभियान से लेकर नशा मुक्ति नियमावली तक, आयोग ने हर स्तर पर प्रभावी कार्य किए हैं। आयोग की यह पहल बच्चों को एक उज्जवल भविष्य देने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है। उन्हाेंने कहा कि बच्चों में नशे के प्रचलन काे रोकने के लिए नियमावली तैयार की गई, जो अब लागू हो रही है। साथ ही 14 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर बड़े पैमाने पर ऑनलाइन जागरुकता अभियान चलाया गया।
‘चिल्ड्रन चैंपियंस अवॉर्ड’ की अनूठी पहल
डाॅ खन्ना ने बताया कि आयोग ने अब तक 600 मामलों का निस्तारण किया है, जिसमें 230 पुराने और 370 नए मामले शामिल हैं। इनमें से 332 मामले अभी प्रक्रियाधीन हैं। अध्यक्ष ने बताया कि बच्चों के बीच सकारात्मक प्रतिस्पर्धा और उनकी उपलब्धियों को पहचानने के लिए ‘चिल्ड्रन चैंपियंस अवॉर्ड’ की शुरुआत की गई है। यह पुरस्कार न केवल बच्चों को प्रोत्साहित करता है।
राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी उत्तराखंड
अध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड पहला राज्य है, जहां राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीआर) ने ब्लॉक और जिला स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन किया। इन कार्यशालाओं के दौरान तैयार की गई रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी गई, जिसमें बच्चों के संरक्षण और विकास के लिए कई अहम सुझाव दिए गए हैं। उन्हाेंने बताया कि आयोग जल्द ही दो और बड़ी कार्यशालाओं का आयोजन करने जा रहा है।बाल अधिकारों से जुड़े मामलों को तेजी से सुलझाने और बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए नए कदम उठाए जाएंगे।