महाराष्ट्र के रुझानों को देखते हुए बहुत संभव है कि सत्तारूढ़ महायुति बंपर बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करेगी. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर आंकड़ों पर नजर डालें तो सभी 288 सीटों का रुझान नजर आ रहा है, बीजेपी 126 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना 54 सीटों पर, अजित पवार की एनसीपी 35 सीटों पर, उद्धव ठाकरे की शिव सेना 35 सीटों पर आगे चल रही है. सेना 20 सीटों पर, कांग्रेस 19 सीटों पर और शरद पवार की एनसीपी 14 सीटों पर जबकि अन्य 20 सीटों पर आगे हैं। है इसे देखकर साफ है कि महायुति सरकार बना सकती है.
बड़े भाई की भूमिका में बीजेपी?
तमाम बातों पर गौर करें तो अब बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में नजर आ रही है. जाहिर है, सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने से बीजेपी सीएम की कुर्सी के लिए स्वाभाविक दावेदार बन जाती है और देवेंद्र फड़नवीस बीजेपी आलाकमान की पहली पसंद हो सकते हैं। अमित शाह ने चुनावी रैली में ये भी कहा कि बीजेपी जीतने वाली है और देवेन्द्र फड़णवीस जीतने वाले हैं. इसके बाद ऐसे संकेत मिले थे कि अगर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो बीजेपी मुख्यमंत्री पद के लिए चुनाव लड़ सकती है.
2019 में बीजेपी 105 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. लेकिन उस वक्त गठबंधन में होने के बावजूद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बीजेपी के दावे को खारिज कर दिया था. फिर उद्धव ठाकरे ने शरद पवार और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई. उसके बाद क्या हुआ यह सार्वजनिक जानकारी है।
लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए राजी होंगे? क्या उनकी शिवसेना की ओर से यह संदेश नहीं दिया जाना चाहिए कि भले ही उनकी पार्टी ने कुछ सीटों पर चुनाव लड़ा हो, लेकिन जितनी सीटों पर चुनाव लड़ा, वहां उनका प्रदर्शन दमदार रहा है और सबसे बड़ी बात यह है कि वह मुख्यमंत्री हैं. चुनाव में महायुति का चेहरा. इसलिए उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी बरकरार रहनी चाहिए. अंततः उनके चेहरे के कारण ही महायुति के सभी घटक दल एक साथ खड़े होकर अपना दमदार प्रदर्शन कर पाये हैं. स्वाभाविक है कि ऐसी मांग और दबाव शिवसेना की ओर से आता है. इसलिए, शिवसेना इतनी आसानी से सीएम पद पर अपना दावा नहीं छोड़ेगी.
इन सबके बीच शुक्रवार को बारामती में अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग वाले पोस्टर दिखे, हालांकि बीजेपी और शिवसेना के जोरदार प्रदर्शन के बावजूद अजित पवार की सीएम पद पर दावेदारी कमजोर होती दिख रही है.