इस समझौते का उद्देश्य भारत में मधुमेह देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाना तथा मधुमेह के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इससे मधुमेह रोगियों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी। इस समझौते के तहत एनएबीएच और आरएसएसडीआई मधुमेह प्रबंधन के लिए सर्वोत्तम नैदानिक दिशा-निर्देश विकसित करने तथा स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उच्च मानकों को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे।
उठाए गए महत्वपूर्ण कदम
भारत में मधुमेह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन गई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, देश में 250 मिलियन से अधिक लोग मधुमेह से प्रभावित हैं। इस बढ़ती समस्या को देखते हुए NABH और RSSDI के बीच हुए समझौते का उद्देश्य इस बीमारी का प्रबंधन प्रभावी तरीके से करना है। मधुमेह के बेहतर उपचार और देखभाल के लिए क्लीनिकल और डिजिटल स्वास्थ्य मानकों का पालन किया जाएगा, ताकि रोगियों को बेहतरीन परिणाम मिल सकें।
डिजिटल स्वास्थ्य मानकों को लागू किया जाएगा
समझौते के तहत, NABH और RSSDI मिलकर मधुमेह रोगियों के लिए नवीनतम डिजिटल स्वास्थ्य मानकों को लागू करेंगे। इससे रोगियों और डॉक्टरों को नए तकनीकी उपकरणों और दिशा-निर्देशों का उपयोग करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, RSSDI की विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए मधुमेह प्रबंधन और अनुसंधान के लिए सर्वोत्तम नैदानिक दिशा-निर्देश विकसित किए जाएंगे। ये दिशा-निर्देश सुनिश्चित करेंगे कि मधुमेह के रोगियों को वैज्ञानिक और साक्ष्य-आधारित उपचार मिले।
मान्यता प्राप्त क्लीनिकों के उच्च मानक
इस समझौते के तहत एनएबीएच और आरएसएसडीआई यह सुनिश्चित करेंगे कि मान्यता प्राप्त मधुमेह क्लीनिक उच्चतम मानकों का पालन करें। इसमें मरीजों के लिए शिक्षा, शोध और दिशा-निर्देश आधारित देखभाल कार्यक्रम शामिल होंगे। इसके साथ ही ये क्लीनिक आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षित डॉक्टरों द्वारा व्यक्तिगत देखभाल प्रदान करेंगे, ताकि मरीज अपने स्वास्थ्य संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें। मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस साझेदारी से एलोपैथिक क्लीनिकों के लिए एनएबीएच मानकों को बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे मरीजों को उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल मिल सकेगी।
आरएसएसडीआई की भूमिका
देश में 12,000 से ज़्यादा मधुमेह देखभाल विशेषज्ञों का प्रतिनिधित्व करने वाली RSSDI इस समझौते में अपनी अहम भूमिका निभाएगी। मंत्रालय ने कहा कि RSSDI अपने सदस्यों के बीच NABH के एलोपैथिक क्लिनिक मानकों के प्रमाणन को सक्रिय रूप से बढ़ावा देगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूरे देश में मधुमेह देखभाल के मानक उच्च हों।