छत्रपति संभाजी नगर/ जयपुर, 21 नवंबर (हि.स.)। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा है कि मानव जीवन महत्वपूर्ण नहीं होता है, महत्वपूर्ण यह होता है कि मनुष्य उसे किस प्रकार आदर्श रूप में जीता है। उन्होंने कहा कि सफलता उन्हें ही मिलती हैं जो निरंतर मेहनत करते हैं। देश की संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास के लिए कार्य करने वाले ही पूज्य होते हैं। उन्होंने पद्म पुरस्कारों की चर्चा करते हुए कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में यह इसलिए प्रदान किए जाते हैं कि इन्हें पाने वालों से प्रेरणा लेकर युवा पीढ़ी उत्कर्ष जीवन की ओर आगे बढ़ सकें।
राज्यपाल बागडे गुरुवार को छत्रपति संभाजी नगर में ज्ञानयज्ञ फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘तृतीय पद्म फेस्टिवल’ के उद्घाटन समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने ‘लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ कविता पंक्तियां सुनाते हुए कहा कि जीत उन्हीं की होती है जो निरंतर प्रयास करते हैं। उन्होंने युवाओं को ‘विकसित भारत’ के लिए निरंतर कार्य करने का आह्वान किया। उन्होने कहा कि यह बहुत अच्छी पहल है कि कोई फाउण्डेशन पद्म पुरस्कार पाने वालों के संवाद कार्यक्रम कर उनसे युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने की पहल कर रहा है। उन्होंने कहा कि जीवन में ज्ञान का यज्ञ ही सबसे महत्वपूर्ण है।
बागडे ने कहा कि संस्कृति का अर्थ ही होता है—निरंतर जो परिवर्तन को लेकर चले। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। भारतीय संस्कृति इसीलिए विश्व भर में आज भी अपनी पहचान बनाए हुए कि इसमें नए परिवर्तनों को साथ लेकर चलने की क्षमता है। इसमें संस्कारों की सुगंध समाई हुई है।
आरंभ में उन्होंने पद्म पुरस्कार पाने वालों का अभिनंदन करते हुए ज्ञान फाउंडेशन की इस पहल की सराहना की। इस अवसर पर फाउण्डेशन के उमेश टाकळकर ने स्वागत उद्बोधन दिया। अध्यक्षीय भाषण मिलिन्द केलकर ने देते हुए ‘ज्ञानयज्ञ’ द्वारा पद्म पुरस्कार संवाद को महत्वपूर्ण बताया।
ज्ञानयज्ञ फाउंडेशन की निदेशक वत्सला देशपांडे और अजय देशपांडे ने बताया कि फाउंडेशन के अंतर्गत इस बार 13 पद्म पुरस्कार प्राप्त हस्तियों के 13 संवाद सत्र रखे गए हैं। इनके अंतर्गत उनके ज्ञान से दूसरों को भी प्रेरणा मिल सकेगी। उन्होंने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव पर देश की संस्कृति और कलाओं पर कार्य करने के अंतर्गत यह तीसरा पद्मत उत्सव आयोजित किया गया है।