जयपुर: एक कोचिंग छात्र के आत्महत्या मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने उसके माता-पिता को जिम्मेदार ठहराया है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह और विनोद कुमार की बेंच ने टिप्पणी की है कि बच्चों की समस्या सिस्टम की खराबी नहीं बल्कि माता-पिता हैं जो अपने बच्चे से उसकी क्षमता से ज्यादा प्रदर्शन की उम्मीद करते हैं. जज ने कहा कि ऐसे माता-पिता अक्सर कहते हैं कि वह पास हो गई और घर आ गई, अन्यथा बेशक वह घर नहीं आती। पढ़ाई के दौरान बच्चे ऐसे माता-पिता के दबाव में रहते हैं। राज्य सरकार को आठ सप्ताह के भीतर अदालत को बताना होगा कि राज्य में ऐसे कितने कोचिंग संस्थान हैं और मई तक उनमें से कितने पंजीकृत थे. बता दें कि कोटा में अब तक 14 छात्रों ने आत्महत्या कर ली है या कहा जा रहा है कि उनकी मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है. कोचिंग छात्रों की आत्महत्या के मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ऐसा किया है.
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार कोचिंग संस्थानों के संबंध में नियंत्रण एवं विनियमन प्रस्ताव तैयार कर रही है. कोचिंग संस्थानों को शामिल करते हुए उनसे सुझाव मांगे गए हैं। इसमें केंद्र सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों को भी शामिल किया गया है. पिछली सुनवाई में कहा गया था कि कोर्ट के कई आदेशों के बाद भी नतीजे नहीं निकले हैं. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि उन्होंने गाइडलाइन बनाकर 16 जनवरी 2024 को दी थी.