न्युकमडुंग युद्ध की 62वीं वर्षगांठ पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि

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न्युकमडुंग, (अरुणाचल प्रदेश), 18 नवंबर (हि.स.)। हिमालय की खूबसूरत वादियों के बीच, न्युकमडुंग युद्ध की 62वीं वर्षगांठ गहरे भाव और कृतज्ञता के साथ न्युकमडुंग वॉर मेमोरियल पर मनाई गई। यह पवित्र स्थल, जो दिरांग और सेला पास के बीच स्थित है, 18 नवंबर 1962 को 62वीं इंफैंट्री ब्रिगेड के वीर सैनिकों के अदम्य साहस और बलिदान का प्रतीक है।

1962 के उस कठिन दिन में, मुश्किल हालात और कठिन पहाड़ी इलाकों के बीच, ब्रिगेडियर होशियार सिंह के नेतृत्व में 62 इंफैंट्री ब्रिगेड के सैनिकों ने दुश्मन के खिलाफ डंटकर मुकाबला किया। हालांकि, यह एक रणनीतिक वापसी थी, फिर भी सैनिकों ने दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया और अद्वितीय वीरता का परिचय दिया।

गुवाहाटी स्थित सेना के पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने आज एक बयान जारी कर बताया है कि न्युकमडुंग वॉर मेमोरियल पर बना 25 फीट ऊंचा चोर्टेन, इन वीरों के बलिदान की कहानियों को हर पीढ़ी के लिए जीवंत बनाए रखने का एक पवित्र स्थान है।

इस साल की वर्षगांठ ने स्थानीय समुदाय, युवाओं और पूर्व सैनिकों को एकजुट किया और वीरता व परंपरा का जश्न मनाया। 17 नवंबर: “ट्रेल ऑफ रिमेंबरेंस” साइक्लिंग रैली में पूर्व सैनिकों और जवानों ने भाग लिया। इस रैली में 80 किलोमीटर का कठिन सफर तय कर न्युकमडुंग से फुडुंग वॉर मेमोरियल तक श्रद्धांजलि दी गई। अंत में, ब्रिगेडियर होशियार सिंह के सम्मान में एक पुष्पांजलि समारोह आयोजित किया गया।

स्थानीय स्कूलों में स्केचिंग और भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिससे युवाओं को वीरता और देशभक्ति की कहानियों से प्रेरणा मिली।

वर्षगांठ के अंतिम दिन सोमवार को समुदाय और सेना ने मिलकर वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। पुष्पांजलि समारोह की शुरुआत न्युकमडुंग वॉर मेमोरियल पर श्रद्धांजलि अर्पित करने से हुई। गणमान्य अतिथि, पूर्व सैनिक, जवान और शहीदों के परिवार इस भावपूर्ण पल के साक्षी बने।

इस दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी हुई। छात्रों ने देशभक्ति गीत और पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए। एलडीएल मोनेस्ट्री, दिरांग द्वारा प्रस्तुत तिब्बती नृत्य ने कार्यक्रम में एक भावनात्मक रंग भर दिया।

भारतीय सेना के सैनिकों ने भांगड़ा और गतका के माध्यम से अपनी संस्कृति और सैन्य परंपरा का प्रदर्शन किया। गतका के कौशल और अनुशासन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस अवसर पर 30 एसएसबी बटालियन के डॉग शो ने दर्शकों का दिल जीत लिया। स्वानों की वफादारी और कुशलता ने यह दिखाया कि वे सैन्य अभियानों का अभिन्न हिस्सा हैं।

कार्यक्रम का समापन पूर्व सैनिकों के प्रेरणादायक अनुभवों के साथ हुआ। उनके शब्दों ने सभी को गर्व और कृतज्ञता से भर दिया। ये कार्यक्रम हमें उनके बलिदानों की याद दिलाता है, जिनसे हमारी स्वतंत्रता सुनिश्चित हुई।

न्युकमडुंग युद्ध की 62वीं वर्षगांठ सिर्फ एक स्मरण नहीं थी, बल्कि यह साहस, एकता और देशभक्ति के मूल्यों की पुनर्पुष्टि थी। यह सेना और स्थानीय समुदाय के बीच के रिश्तों को मजबूत करने का एक अवसर बना, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। सैनिकों ने 1962 के इन वीर सैनिकों को याद करते हुए, उनके आदर्शों को बनाए रखने का संकल्प लिया।