संवाद की वजह से ही भारतीय ज्ञान परम्परा समृद्ध: आनंदीबेन पटेल

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लखनऊ, 16 नवंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को दैनिक जागरण समूह द्वारा आयोजित ’संवादी: उत्सव अभिव्यक्ति का’ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। उन्होंने इस मंच को समाज में संवाद, विचार और सकारात्मक बदलाव का माध्यम बताते हुए इसे अत्यंत महत्वपूर्ण आयोजन बताया।

अपने उद्बोधन में राज्यपाल ने कहा कि संवाद ज्ञान का आधार है और भारतीय ज्ञान परम्परा की समृद्धि इसी संवाद की वजह से रही है। उन्होंने कहा कि भारत की अहिंसा, योग और आध्यात्मिकता की शक्ति को वैश्विक स्वीकृति मिली है, जो हमारी ज्ञान परंपरा की गहराई और प्रासंगिकता को दर्शाता है।

उन्होंने संवाद का महत्व और वर्तमान परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है, और गहरे एवं सशक्त संवाद के माध्यम से ही ज्ञान की समृद्धि संभव है। सोशल मीडिया, फोन और इंटरनेट के युग में संवाद का गहन और वैचारिक प्रभाव अक्सर नदारद रहता है। उन्होंने महाभारत में कृष्ण-अर्जुन, नचिकेता-यम जैसे संवादों का जिक्र करते हुए कहा कि ये संवाद जीवन के गहरे सत्य की खोज का प्रतीक हैं।

राज्यपाल ने मीडिया, विशेषकर समाचार पत्रों और पत्रिकाओं को समाज का अभिन्न हिस्सा बताते हुए कहा कि यह केवल सूचना का माध्यम नहीं है, बल्कि समाज को जागरूक करने और विचारशीलता को प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण साधन है।

उन्होंने भारतीय धार्मिक ग्रंथों जैसे रामायण और महाभारत में संवाद के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनमें छिपे ज्ञान को समाज के सामने लाने की आवश्यकता है। उन्होंने श्री कृष्ण और बर्बरीक के संवादों का उदाहरण देते हुए कहा कि इनसे जीवन के गहरे सत्य और समाजोपयोगी तथ्यों का अध्ययन किया जा सकता है। राज्यपाल ने कहा कि हमें अपने शोध कार्यों को समाज के लिए प्रस्तुत करना चाहिए ताकि उसका लाभ व्यापक स्तर पर मिल सके। राज्यपाल ने विद्यार्थियों को भारतीय साहित्य की पुरानी पुस्तकों को पढ़ने के लिए प्ररित किया। उन्होंने कहा कि इनमें ज्ञान का अपार भंडार छिपा है, जिसका विश्लेषण और प्रचार-प्रसार जरूरी है।

इस अवसर पर दैनिक जागरण के राज्य संपादक आशुतोष शुक्ल, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय,छात्र-छात्राएं तथा अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।