नई दिल्ली। ट्रेन में आरामदायक सफर के लिए लोग तय समय से पहले रिजर्वेशन कराते हैं। इनमें से कुछ यात्री यात्रा नहीं कर पाते और बाद में अपना टिकट कैंसिल करा देते हैं। टिकट कैंसिल कराने पर रेलवे पूरा पैसा वापस नहीं करता। यानी जितने पैसे के लिए रिजर्वेशन कराया था, उससे कम पैसे वापस मिलते हैं। ये कौन से चार्ज हैं जो रेलवे आपको वापस नहीं करता और इसकी वजह क्या है? 99.99 फीसदी लोगों को नहीं पता होगा। आइए जानते हैं-
रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक सूचना एवं प्रचार दिलीप कुमार का कहना है कि आरक्षण के लिए भुगतान में ट्रेन के किराए के अलावा आरक्षण शुल्क, सुपरफास्ट चार्ज और जीएसटी शामिल होता है। टिकट रद्द करने पर रेलवे सिर्फ ट्रेन का किराया वापस करता है। आपसे लिया गया आरक्षण शुल्क और जीएसटी वापस नहीं किया जाता। दिलीप कुमार का कहना है कि आरक्षण शुल्क सुविधा के बदले आपसे लिया जाता है, इसलिए यह वापस नहीं किया जाता। इसके अलावा सुपरफास्ट चार्ज भी लिया जाता है।
सुपरफास्ट शुल्क क्या है?
भारतीय रेलवे दो तरह की ट्रेनें चलाती है, पहली सुपरफास्ट और दूसरी पैसेंजर और लोकल ट्रेनें। लंबी दूरी की यात्रा करने वाले यात्री आरक्षण करवाते हैं जो सुपरफास्ट होती हैं, जबकि पैसेंजर ट्रेनें छोटी दूरी के लिए चलती हैं और रास्ते में सभी स्टेशनों पर रुकती हैं। इसलिए इन ट्रेनों में आरक्षण पर सुपरफास्ट चार्ज नहीं लिया जाता है।
किस श्रेणी में आरक्षण शुल्क क्या है?
क्लास के हिसाब से रिजर्वेशन चार्ज अलग-अलग लिया जाता है। सेकंड क्लास में 15 रुपए, स्लीपर में 20 रुपए, एसी चेयर कार, एसी इकोनॉमी और एसी थर्ड में 40 रुपए, एसी सेकंड में 50 रुपए और एसी फर्स्ट और एग्जीक्यूटिव क्लास में 60 रुपए लिए जाते हैं। अगर आपने फर्स्ट एसी में रिजर्वेशन कराया है और उसे कैंसिल करते हैं तो 60 रुपए और जीएसटी वापस नहीं किया जाएगा।
यह शुल्क उपनगरीय ट्रेनों में भी लिया जाता है
सामान्य ट्रेनों के अलावा अगर आप उपनगरीय और लोकल ट्रेनों में रिजर्वेशन कराते हैं तो आपसे रिजर्वेशन चार्ज लिया जाता है। सेकंड क्लास में आपको 15 रुपए, स्लीपर क्लास में 20 रुपए और फर्स्ट क्लास में 50 रुपए देने होते हैं।