प्रयागराज, 12 नवम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि 14 अक्टूबर, 2022 से पहले खरीदे गए इलेक्ट्रिक वाहन के मालिक एकमुश्त कर के भुगतान से छूट देने वाली बाद की अधिसूचना का हवाला देते हुए कर वापसी की मांग नहीं कर सकते।
हाईकोर्ट ने कहा कि छूट के उद्देश्य के लिए निर्धारित शर्तें यह हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2022 की अधिसूचना की तिथि से पूर्व इलेक्ट्रिक वाहन यूपी राज्य में खरीदा और रजिस्टर्ड होना चाहिए। कोर्ट ने इसी के साथ याचिका खारिज कर दी।
याची अंकुर विक्रम सिंह ने याचिका में 13 अक्टूबर, 2022 को नोएडा यूपी से खरीदे गए अपने हाइब्रिड वाहन के सम्बंध में भुगतान किए गए एकमुश्त कर की वापसी की मांग की थी। उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण और गतिशीलता नीति, 2022 की अधिसूचना की तारीख यानी 14 अक्टूबर, 2022 से खरीदे गए और रजिस्टर्ड इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कर से छूट प्रदान करने वाली राज्य द्वारा जारी अधिसूचना के आधार पर याची ने भी राहत मांगी थी।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि चूंकि वाहन 18 अक्टूबर, 2022 को रजिस्टर्ड किया गया था, भले ही वाहन नीति से एक दिन पहले खरीदा गया हो, याचिकाकर्ता धनवापसी का हकदार है। हालांकि राज्य के वकील ने तर्क दिया कि छूट अधिसूचना की भाषा के अनुसार अधिसूचना की तिथि यानी 14 अक्टूबर, 2022 से वाहन की ’खरीद और पंजीकरण’ दोनों की आवश्यकता है। यह तर्क दिया गया कि चूंकि याचिकाकर्ता का वाहन उक्त तिथि से पहले खरीदा गया था, इसलिए याची रिफंड का हकदार नहीं है।
हाईकोर्ट ने कहा कि छूट के उद्देश्य के लिए निर्धारित शर्तें यह हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2022 की अधिसूचना की तिथि से पूर्व यूपी राज्य में खरीदा और रजिस्टर्ड होना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा, “बेशक, विचाराधीन वाहन याची द्वारा नीति, 2022 की तिथि यानी 13 अक्टूबर 2022 से पहले खरीदा गया और उक्त तिथि को लागू कर का भुगतान किया गया। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि उक्त नीति/अधिसूचना के तहत याची प्रदान की गई छूट का हकदार था।“
न्यायालय ने कहा कि केवल इस तथ्य के आधार पर कि वाहन 18 अक्टूबर 2022 को रजिस्टर्ड किया गया, अर्थात छूट अधिसूचना में दर्शाई गई तिथि अर्थात 14 अक्टूबर 2022 के बाद याची रिफंड की मांग नहीं कर सकता।