आयकर विभाग ने कर अधिकारियों को निर्दिष्ट शर्तों के अधीन करदाताओं द्वारा देय ब्याज को माफ करने या कम करने की मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार, पीआरसीआईटी रैंक का अधिकारी 1.5 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया ब्याज को कम करने या माफ करने का फैसला कर सकता है। 50 लाख रुपये से 1.5 करोड़ रुपये तक के बकाया ब्याज के लिए, सीसीआईटी रैंक का अधिकारी छूट/कटौती तय करेगा, जबकि पीआरसीआईटी या आयकर आयुक्त 50 लाख रुपये तक के बकाया ब्याज पर फैसला कर सकते हैं। वहीं, धारा 220 (2ए) के तहत देय ब्याज में कटौती या छूट तीन निर्दिष्ट शर्तों की पूर्ति पर उपलब्ध होगी।
18,000 फर्जी कंपनियों का पता चला, 25,000 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता चला
देशभर में चलाए गए विशेष अभियान के तहत कर अधिकारियों ने जीएसटी के तहत पंजीकृत करीब 18,000 फर्जी कंपनियों का पता लगाया है, जो करीब 25,000 करोड़ रुपये की कर चोरी में संलिप्त हैं। इन कंपनियों ने जमीन पर कोई सामान नहीं खरीदा और न ही बेचा। इन्होंने सिर्फ कागजों पर सामान की खरीद-बिक्री दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) तैयार किया और उसके नाम पर सरकार से मोटी रकम ली।
धोखाधड़ी की जांच एक वर्ष के भीतर पूरी की जाएगी
सीबीआईसी ने सीमा शुल्क अधिकारियों से निर्यात/आयात धोखाधड़ी के मामलों में पत्र/समन जारी करते समय चल रही जांच की विशिष्ट प्रकृति का खुलासा करने और एक वर्ष के भीतर जांच पूरी करने को कहा है।
1 नवंबर को जारी निर्देश में सीबीआईसी ने कहा, “किसी भी वाणिज्यिक खुफिया/धोखाधड़ी मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए, जो आम तौर पर एक साल से अधिक नहीं होती है। जांच शुरू करने से पहले, आयातक/निर्यातक के साथ संपर्क को कम से कम करने के लिए सभी सूचनाओं को देखना और उपलब्ध आंकड़ों की जांच करना आवश्यक है।” सीबीआईसी के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि दिशा-निर्देश सीआई धोखाधड़ी मामलों की जांच के दौरान न्यूनतम व्यवधान के दृष्टिकोण को रेखांकित करते हैं।