संपत्ति कानून: सरकार नहीं ले सकती हर निजी संपत्ति, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला

Private Property Supreme Court 1024x576.jpg

संपत्ति कानून: क्या सरकार सार्वजनिक हित के लिए किसी निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर सकती है? इस सवाल के जवाब में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सभी निजी संपत्तियों को सार्वजनिक हित की संपत्ति नहीं घोषित किया जा सकता। इसलिए सरकार हर संपत्ति का अधिग्रहण नहीं कर सकती। हालांकि, सार्वजनिक हित के मामलों में उसे समीक्षा का अधिकार है और ऐसी स्थिति में वह जमीन का अधिग्रहण भी कर सकती है। कोर्ट ने 1978 के उस फैसले को भी पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि राज्य सामुदायिक हित के लिए किसी निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर सकता है।

संविधान के अनुच्छेद 39(बी) का पालन करते हुए सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया। 9 जजों में से 7 ने बहुमत से फैसला सुनाया कि हर निजी संपत्ति का अधिग्रहण सामुदायिक हित के लिए नहीं किया जा सकता। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस एससी शर्मा और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की राय थी कि हर संपत्ति का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता। वहीं, बेंच में शामिल जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस बीवी नागरत्ना की राय अलग थी।

मुख्य न्यायाधीश ने सात जजों के बहुमत वाले फैसले को लिखते हुए कहा कि सभी निजी संपत्तियां भौतिक संसाधन नहीं हैं और इसलिए सरकार द्वारा उनका अधिग्रहण नहीं किया जा सकता। पीठ के बहुमत वाले फैसले के अनुसार, निजी स्वामित्व वाले सभी संसाधनों का सरकार द्वारा अधिग्रहण नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार, हालांकि, उन संसाधनों का दावा कर सकती है जो भौतिक हैं और सार्वजनिक भलाई के लिए समुदाय से संबंधित हैं। बहुमत वाले फैसले में कहा गया कि पहले का फैसला जिसमें कहा गया था कि सरकार निजी संपत्तियों का अधिग्रहण कर सकती है, एक विशेष आर्थिक और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था।

कोर्ट ने कहा- 1978 का फैसला समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था

सुप्रीम कोर्ट के बहुमत वाले फैसले ने जस्टिस कृष्ण अय्यर के पिछले फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि निजी स्वामित्व वाले सभी संसाधनों को सरकार द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है। इस तरह, शीर्ष अदालत ने 1978 के बाद के फैसलों को पलट दिया, जिसमें समाजवादी विचार को अपनाया गया था और कहा गया था कि सरकार आम भलाई के लिए सभी निजी संपत्तियों को अपने अधीन कर सकती है।