आयकर अधिनियम की समीक्षा: हर साल आयकर रिटर्न दाखिल करना करदाताओं के लिए एक बड़ी कवायद है और वित्त मंत्री ने इसे आसान बनाने के लिए कदम उठाए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई में पेश आम बजट में कहा था कि 60 साल पुराने आयकर अधिनियम की 6 महीने में समीक्षा की जाएगी और अब उन्होंने यह वादा पूरा कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को भारत के आयकर अधिनियम 1961 की समीक्षा की।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर अधिनियम की समीक्षा की
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को भारत के आयकर अधिनियम 1961 की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। सोमवार को एक संयुक्त बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर अधिनियम या आयकर अधिनियम 1961 की व्यापक समीक्षा की। आयकर अधिनियम 1961 की समीक्षा के तहत अलग-अलग पहलुओं के लिए 22 विशेष उप-समितियां बनाई गईं, जिनके इनपुट इस बैठक में प्रस्तुत किए गए।
केंद्रीय बजट में आयकर अधिनियम की समीक्षा की घोषणा की गई थी
केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ इस बैठक में राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा, सीबीडीटी के चेयरमैन रवि अग्रवाल और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। इन सभी अधिकारियों के साथ मिलकर वित्त मंत्री ने आयकर अधिनियम 1961 की व्यापक समीक्षा के तहत कई मुद्दों पर विचार साझा किए और अहम फैसले लिए। दरअसल, वित्त मंत्री ने 23 जुलाई 2024 को पेश किए गए केंद्रीय बजट में आयकर अधिनियम या आयकर अधिनियम 1961 की समीक्षा की घोषणा की थी।
वित्त मंत्रालय ने एक्सक्लूसिव पर तस्वीर और जानकारी पोस्ट की
वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य अधिकारियों की तस्वीर के साथ जानकारी साझा की। इसमें बताया गया है कि आयकर अधिनियम के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा के लिए 22 अलग-अलग उप-समितियां बनाई गई थीं, जिन्होंने कई स्तरों और पहलुओं पर गौर करके नए निष्कर्ष निकाले हैं।
22 उपसमितियों ने मिलकर निकाले कई निष्कर्ष- जल्द होगा क्रियान्वयन
राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने इस बैठक में वित्त मंत्री को जानकारी दी है कि ये 22 उप-समितियाँ कई अलग-अलग बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लेती रही हैं। चाहे वह आधिकारिक व्यक्तिगत बैठक हो या वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से, अलग-अलग डोमेन विशेषज्ञों ने आयकर अधिनियम में नवाचार और सुधार के लिए प्रभावी सुझाव दिए हैं। इसके अलावा, 6 अक्टूबर 2024 को इसके लिए खोले गए पोर्टल पर अब तक 6500 बहुमूल्य सुझाव प्राप्त हुए हैं। इससे पता चलता है कि वित्त मंत्रालय को आयकर अधिनियम में सुधार के लिए इन पोर्टलों के माध्यम से आम जनता की भी पर्याप्त भागीदारी मिली है। माना जा सकता है कि इन सुझावों और निष्कर्षों पर अमल करने की कवायद जल्द ही शुरू हो जाएगी।
जानकारी के लिए बता दें कि पिछले महीने ही सीबीडीटी ने छह दशक पुराने आयकर कानून में जरूरी सुधारों के लिए जनता से सुझाव मांगे थे। इसमें भाषा को सरल बनाने से लेकर मुकदमेबाजी कम करने और शिकायतों के त्वरित समाधान तक तमाम नए प्रावधानों को लेकर लोगों की ओर से सुझाव और सिफारिशें आई हैं।