Vande Bharat Sleeper Train: भोपाल से चलेगी पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन, इन शहरों के लिए शुरू होगी सुविधा

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Indian Railways Vande Bharat Sleeper Train: वंदे भारत का स्लीपर वर्जन भोपाल से शुरू करने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। सीनियर डीसीएम सौरभ कटारिया ने बताया कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की पहली खेप नवंबर के अंत तक भोपाल पहुंच जाएगी। नवंबर के आखिरी हफ्ते तक इसका ट्रायल किया जाएगा। इसके लिए दो तरह के रैक लाए जा रहे हैं।

पहली ट्रेन में होंगे 8 कोच

पहली ट्रेन आठ कोच वाली वंदे भारत सीटिंग ट्रेन होगी। दूसरी वंदे भारत स्लीपर में 20 कोच होंगे। दिल्ली और मुंबई के बीच चलने वाली एक और वंदे भारत स्लीपर भी भोपाल से होकर जाएगी। रानी कमलापति और पाटलिपुत्र (पटना) के बीच 20 कोच वाली वंदे भारत स्लीपर चलाई जाएगी। भोपाल और लखनऊ के बीच आठ कोच वाली वंदे भारत चलाई जाएगी।

लखनऊ वंदे भारत रैक नवंबर के आखिरी सप्ताह तक मिलने जा रही है, जिसके बाद दिसंबर के दूसरे सप्ताह में ट्रेन का संचालन किया जा सकेगा।

लखनऊ और पाटलिपुत्र के लिए चलेगी पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक सौरभ कटारिया ने बताया कि भोपाल मंडल को वंदे भारत एक्सप्रेस की दो रैक मिलने जा रही हैं, जिन्हें लखनऊ से पाटलिपुत्र के बीच चलाया जाएगा।

तैयारी के संबंध में दिए गए आदेश

स्लीपर वंदे भारत को लेकर भोपाल मंडल के अधिकारियों को तैयारियां करने के आदेश और निर्देश मिल गए हैं। इसके लिए मंडल की ओर से एक टीम बनाई जाएगी। इस टीम में ट्रेन के पायलट, गार्ड और मेंटेनेंस स्टाफ भी शामिल होंगे। आरकेएमपी-पाटलिपुत्र स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस भोपाल रेल मंडल की ट्रेन होगी।

यह हो सकता है कार्यक्रम

वंदे भारत स्लीपर ट्रेन रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से शाम 5 बजे के करीब रवाना होने की उम्मीद है। यह ट्रेन अगले दिन सुबह 11 बजे के करीब पाटलिपुत्र पहुंचेगी। इसी तरह स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस आरकेएमपी स्टेशन से पाटलिपुत्र स्टेशन तक 1005 किलोमीटर की दूरी करीब 18 घंटे में तय करेगी। इस ट्रेन की स्पीड 160 किलोमीटर से ज्यादा होगी।

ट्रेन कब चलेगी?

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक सौरभ कटारिया के अनुसार, भोपाल मंडल को वंदे भारत एक्सप्रेस के दो रैक मिलने जा रहे हैं। इन्हें लखनऊ से पाटलिपुत्र के बीच चलाया जाएगा। लेकिन इसके लिए अभी कोई निश्चित तारीख तय नहीं की गई है। लेकिन नवंबर के अंत तक रैक आ जाएगी। इसके बाद एक सप्ताह का ट्रायल और फिर संचालन शुरू कर दिया जाएगा।