इन तीन नियमों का रखें ध्यान, नहीं तो सरकार वसूल लेगी सब्सिडी का पैसा

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प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) को केंद्र सरकार की सबसे क्रांतिकारी योजनाओं में से एक माना जाता है। केंद्र ने पिछले साल 9 अगस्त को प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 की शुरुआत की थी। इसे पहले चरण की शानदार सफलता के बाद लाया गया है।

इस योजना में सरकार जरूरतमंदों को घर बनाने के लिए सब्सिडी देती है। यह एक क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) है। इससे होम लोन चुकाने की लागत कम हो जाती है। लेकिन, अगर सब्सिडी का लाभ लेने वाला व्यक्ति कुछ शर्तें पूरी नहीं करता है, तो उससे सब्सिडी वापस भी ली जा सकती है।

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आइए जानते हैं प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन शर्तों को पूरा करने पर सब्सिडी का पैसा ब्याज सहित वापस करना पड़ सकता है।

सब्सिडी कब वापस की जा सकती है?

सरकार का जोर है कि ज्यादा से ज्यादा लोग प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ उठाएं। लेकिन, कुछ लोग जानबूझकर या मजबूरी में कुछ गलतियां कर देते हैं, जिसकी वजह से क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी पर वापस जाने की स्थिति बन जाती है।

1. अगर कर्जदार समय पर बैंक को लोन की किस्तें नहीं चुका पाता और लोन नॉन-परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए बन जाता है। इसका मतलब है कि बैंक यह मान लेता है कि उसे लोन की रकम वापस नहीं मिलेगी। ऐसी स्थिति में क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी वापस ले ली जाती है।

2. यदि किसी लाभार्थी को क्रेडिट सब्सिडी मिली है। उसने निर्माण भी शुरू कर दिया है। लेकिन किसी कारण से वह निर्माण रोक देता है। ऐसी स्थिति में लाभार्थी को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्राप्त सब्सिडी राशि वापस करनी होगी।

3. अगर लाभार्थी घर के उपयोग का प्रमाण पत्र जमा नहीं करता है तो भी सरकार सब्सिडी की राशि वापस ले सकती है। यह प्रमाण पत्र ऋण की पहली किस्त के वितरण की तारीख से एक वर्ष से 36 महीने के भीतर जमा करना होगा।

इसके अलावा, इन बातों को भी ध्यान में रखें।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक परिवार को केवल एक ही सब्सिडी मिलती है।

एक परिवार में पति-पत्नी के साथ अविवाहित बच्चे भी होते हैं।

आवेदक या उसके परिवार के नाम पर कोई स्थायी मकान नहीं होना चाहिए।

उसे किसी अन्य आवास योजना से आवास सहायता प्राप्त नहीं होनी चाहिए।

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सब्सिडी समाप्त होने पर क्या होगा?

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ब्याज सब्सिडी लाभार्थी के लोन अकाउंट में एडवांस में दी जाती है। इसका मतलब है कि इसे होम लोन की शुरुआत में ही जमा कर दिया जाता है। इससे प्रभावी हाउसिंग लोन राशि और EMI कम हो जाती है। सब्सिडी खत्म होने के बाद लाभार्थी को मूल ब्याज दर पर वापस लौटना पड़ता है, जिससे EMI बढ़ जाती है।