जैसलमेर, 22 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय मरू उद्यान में विलुप्तप्राय सोन चिरैया (गोडावण) के संरक्षण के प्रयासों ने महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। यहां एक गोडावण ने कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से अपने बच्चे को जन्म दिया है। यह पहल गोडावण के कुनबे को बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है और इससे संरक्षण प्रयासों को नई दिशा मिलेगी।
राज्य पक्षी गोडावण के संरक्षण के तहत पहली बार कृत्रिम गर्भाधान से चूजे का जन्म हुआ है। जैसलमेर के राष्ट्रीय मरू उद्यान के डीएफओ आशीष व्यास ने बताया कि पिछले चार दशकों से गोडावण संरक्षण के प्रयास जारी हैं, लेकिन यह पहली बार है कि नर गोडावण के स्पर्म को मादा गोडावण में इंजेक्ट करके यह सफलता प्राप्त की गई है। भारत और राज्य सरकार के ‘बस्टर्ड रिकवरी प्रोग्राम’ के अंतर्गत यह महत्वपूर्ण उपलब्धि है। पहले गोडावण के अंडों को फील्ड से उठाकर सुदासरी के ब्रीडिंग सेंटर में कृत्रिम रूप से अंडों से चूजे निकाले जाते थे, लेकिन इस बार का प्रयास असाधारण रहा। उन्होंने बताया कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सहयोग से किए गए इस प्रयास से गोडावण की दूसरी पीढ़ी का कृत्रिम रूप से हैचिंग कराना संभव हो पाया है। यह देश का पहला ऐसा मामला है, जो लुप्त हो रही सोन चिरैया को बचाने के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।