जेजेएसएफ ने 1966 के छात्र शहीदों की याद में रखा तीन दिवसीय उपवास

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जम्मू, 18 अक्टूबर (हि.स.)। छात्र शहीदी दिवस के अवसर पर जम्मू संयुक्त छात्र संघ (जेजेएसएफ) ने जम्मू में उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना के लिए तथा कृषि विश्वविद्यालय को जम्मू से कश्मीर स्थानांतरित करने के विरोध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले छात्रों को श्रद्धांजलि देने के लिए शहीदी स्थल जीजीएम साइंस कॉलेज, जम्मू में 16 से 18 अक्टूबर तक तीन दिवसीय उपवास रखा। इस कार्यक्रम में उन शहीदों को याद किया गया जिनके बलिदान के कारण जम्मू विश्वविद्यालय, सरकारी मेडिकल कॉलेज तथा शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एसकेयूएएसटी) की स्थापना हुई।

अंतिम दिन हवन यज्ञ किया गया जिसमें शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई तथा आशीर्वाद लिया गया। अनशन का समापन जम्मू पूर्व विधानसभा क्षेत्र के विधायक और मुख्य अतिथि युद्धवीर सेठी की उपस्थिति में हुआ। उनके साथ जेजेएसएफ के प्रदेश अध्यक्ष पुशविंदर सिंह, जीजीएम साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. रोमेश गुप्ता और एमएएम कॉलेज जम्मू के प्रिंसिपल प्रो. बी बी आनंद भी मौजूद थे। उन्होंने अनशन कर रहे छात्रों को जूस पिलाया। अपने संबोधन में युद्धवीर सेठी ने छात्रों और जेजेएसएफ कार्यकर्ताओं की अटूट प्रतिबद्धता की प्रशंसा की और जम्मू में शैक्षिक विकास के लिए शहीदों द्वारा दिए गए बलिदान को याद करने के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि इन बलिदानों ने कई उच्च शिक्षण संस्थानों का मार्ग प्रशस्त किया है जिनसे आज अनगिनत छात्र लाभान्वित हो रहे हैं। जेजेएसएफ के महासचिव केशव शर्मा ने भी सभा को संबोधित किया और शहीदी स्थल की बिगड़ती स्थिति और जीजीएम साइंस कॉलेज के आसपास महिला और सार्वजनिक शौचालय सुविधाओं की तत्काल आवश्यकता जैसे ज्वलंत मुद्दों पर प्रकाश डाला। प्रो. गुप्ता ने शौचालयों के लिए जगह उपलब्ध कराने पर सहमति जताई जबकि युद्धवीर सेठी ने आश्वासन दिया कि इन मांगों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा। पुष्विंदर सिंह ने शहीदों की विरासत को कायम रखने के लिए जेजेएसएफ की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए कहा कि जम्मू विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज और कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना छात्र आंदोलन का प्रत्यक्ष परिणाम है।

उन्होंने युवा पीढ़ी से शैक्षिक सशक्तिकरण के उनके दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का आग्रह किया। तीन दिनों तक उपवास रखने वाले छात्रों में रितिक वर्मा, एकलव्य सलाथिया, साहिल डोगरा और गौरव शर्मा शामिल थे जिनका समर्पण सराहनीय था। इस अवसर पर विशाल डोगरा, कार्तिक मिन्या, वासु, वंश महाजन, ध्रीज पावा, तुहेद, आकाश, समक्ष, राघव सिंह, आदिल कुरैशी, दानिश वर्मा, वंश शर्मा, मुनीश खुल्लर और अंश शामिल थे। यह तीन दिवसीय उपवास न केवल अतीत के प्रति श्रद्धांजलि है बल्कि युवाओं के लिए शिक्षा, त्याग और सामाजिक प्रगति के मूल्यों को संरक्षित करने में एकजुट रहने की प्रेरणा का स्रोत भी है।