रांची, 18 अक्टूबर (हि.स.)। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी संस्कृत विश्वविद्यालय, रांची के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में शुक्रवार को वाल्मीकि जयंती-सह-दीक्षारम्भ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर संस्कृत भाषा और संस्कृति के महत्त्व पर विचार-विमर्श हुआ तथा संस्कृत शिक्षा को और अधिक सुदृढ़ बनाने के संकल्प के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. शैलेश कुमार मिश्र ने वाल्मीकि के जीवन और उनके महाकाव्य रामायण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि आदि कवि तो हैं ही, उन्होंने अपनी अमर कृति के माध्यम से मानव समाज को नैतिकता, धर्म और कर्तव्य के मार्ग पर चलने का पाठ पढ़ाया। रामायण के माध्यम से वाल्मीकि जी ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रसार किया, बल्कि मानवता के लिए एक आदर्श जीवन का संदेश दिया।
डॉ. मिश्र ने छात्रों से आग्रह किया कि वे वाल्मीकि के आदर्शों को आत्मसात करें और समाज में नैतिकता और संस्कारों को बनाए रखें। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि द्वारा विरचित सात काण्ड एवं चौबीस हजार श्लोकों वाला रामायण हर कवि के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। नारद मुनि के परामर्श पर रामायण के नायक के रूप श्रीराम का चयन उनकी यथार्थवादी तथा लोक-मंगलकारी चिन्तन का ही परिणाम था।
संस्कृत भाषा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की आत्मा : धनंजय
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय वासुदेव द्विवेदी ने कहा कि संस्कृत भाषा केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की आत्मा है। संस्कृत साहित्य में छिपे ज्ञान को समझना और उसका प्रसार करना हमारे समाज के उत्थान के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने वाल्मीकि के जीवन पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि आदिकाव्य रामायण की रचना कर एक ऐसा धरोहर छोड़ा है, जो हमारी जीवन शैली और सोच को प्रभावित करता है।
कार्यक्रम में संस्कृत विभाग के छात्र-छात्राओं ने भी भाग लिया और उन्होंने वाल्मीकि के जीवन और उनकी रचनाओं पर आधारित विभिन्न प्रस्तुतियां दीं। विद्यार्थियों ने रामायण के कुछ प्रमुख अंशों का सस्वर पाठ भी किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीपप्रज्वलन एवं पुष्पार्चन के साथ हुआ। वैदिक मंगलाचरण विभागीय छात्र भोला तिवारी तथा लौकिक मंगलाचरण शिवम नारायण ने किया। इस अवसर पर अमृता कुमारी, तनु सिंह, अनामिका कुमारी, कृति पाण्डेय, पल्लवी, प्रेरणा, दीप, प्रतिमा, मेनका आदि ने विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। अतिथियों का परिचय एवं स्वागत आशीष ओहदर तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. जगदम्बा प्रसाद सिंह ने किया। मंच का संचालन आयुष कुमार ने किया।