महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी ‘आप’, जानें क्यों लिया फैसला?

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AAP On महाराष्ट्र-झारखंड विधानसभा चुनाव: हरियाणा में अच्छे नतीजे नहीं मिलने के कारण आम आदमी पार्टी महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी. जिसमें पार्टी अपना पूरा फोकस दिल्ली विधानसभा चुनाव पर ही रखना चाहती है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आम आदमी पार्टी को लगता है कि झारखंड में उसका संगठन पहले से कमजोर है. चुनाव लड़ने के लिए संगठन को मजबूत करना होगा, लेकिन अभी समय नहीं है. महाराष्ट्र में स्थिति थोड़ी अलग है. वहां की राज्य इकाई संगठनात्मक विस्तार के लिए दो या तीन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है.

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली को बचाने के लिए हरसंभव कोशिश की

बताया जा रहा है कि राज्य इकाई ने अपनी रिपोर्ट आलाकमान को सौंप दी है, जिसके आधार पर राजनीतिक मामलों की समिति अंतिम फैसला लेगी. लेकिन आलाकमान से मंजूरी मिलने की संभावना कम है, क्योंकि आम आदमी पार्टी दिल्ली को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाना चाहती है. वहीं पार्टी ने भी तैयारियां तेज कर दी हैं.

केजरीवाल और मनीष सिसौदिया सड़क पर उतरे

पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और वरिष्ठ नेता मनीष सिसौदिया खुद प्रचार के लिए दिल्ली की सड़कों पर उतरे हैं. सूत्रों के मुताबिक, इन दोनों राज्यों में चुनाव न लड़ने का मुख्य कारण यह है कि इन राज्यों में INDI के सहयोगी दल मजबूती से चुनाव लड़ सकें और सहयोगियों के बीच कोई भ्रम की स्थिति न रहे.

 

ऐसे में बीजेपी को नुकसान होगा. हालांकि, आम आदमी पार्टी ने अभी तक इन दोनों राज्यों को लेकर औपचारिक तौर पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है. पार्टी नेता कह रहे हैं कि राजनीतिक मामलों की समिति इस पर फैसला लेगी.

एमसीडी विपक्ष के नेता ने आप सरकार पर लगाया आरोप

दिल्ली में एमसीडी में विपक्ष के नेता और पूर्व मेयर सरदार राजा इकबाल सिंह ने आरोप लगाया कि एमसीडी में आप सरकार अनुसूचित जाति विरोधी है. इसलिए अप्रैल में होने वाला मेयर का चुनाव अभी तक नहीं हुआ है। उनकी कोशिश है कि अनुसूचित जाति के पार्षद मेयर न बनें और उन्हें उनका हक न मिले, इसलिए चुनाव टाल दिया गया है.

 

उन्होंने दावा किया कि जब भाजपा ने पिछले सदन में अनुसूचित जाति के पार्षदों को अधिकार देने का मुद्दा उठाया था और मेयर चुनाव नहीं कराने की सत्तारूढ़ दल की साजिश को उजागर किया था. इससे समाज का गुस्सा बढ़ गया और मामला राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तक पहुंच गया। इसलिए अब आप सरकार मेयर चुनाव कराने के लिए मजबूर है।